Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

TMC उतारने जा रही है 50 महिला उम्मीदवार, महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर ज्यादा जोर

हमें फॉलो करें TMC उतारने जा रही है 50 महिला उम्मीदवार, महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर ज्यादा जोर
, सोमवार, 8 मार्च 2021 (18:27 IST)
कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आने के साथ ही राजनीतिक दलों का महिलाओं के मुद्दों पर जोर बढ़ता जा रहा है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस इस बार अब तक की सर्वाधिक 50 महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारने जा रही है, हालांकि भाजपा ने इस सब के बीच आरोप लगाया है कि ममता बनर्जी सरकार के शासन तले महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ गए हैं।
 
महिलाओं को लुभाने के लिए तृणमूल अपने चुनाव अभियान में ‘स्वास्थ्य साथी’ और ‘कन्याश्री’ जैसी योजनाओं का जोर-शोर से प्रचार कर रही है। उसका चुनावी नारा भी ‘बंगाल को अपनी बेटी चाहिए’ है। तृणमूल सांसद एवं प्रवक्ता काकोली घोष दस्तीदार के मुताबिक इस बार मतदाता देखेंगे कि ‘अकेली महिला बंगाल के सम्मान की खातिर बाहर के लोगों से लड़ रही है।’
उन्होंने कहा कि 1998 में जब तृणमूल बनी थी तब से ममता बनर्जी ने हमेशा कोशिश की है कि पंचायत, नगर निकाय, राज्य या लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा महिला उम्मीदवारों को खड़ा किया जाए। इस बार चुनाव में पार्टी 50 महिला उम्मीदवार उतार रही है, जो 2016 के मुकाबले 5 अधिक है।
 
तृणमूल के दावों के जवाब में भाजपा की राज्य महिला मोर्चा अध्यक्ष अग्निमित्रा पॉल ने कहा कि चुनावी नारे का महिलाओं पर शायद की कोई प्रभाव पड़े क्योंकि ममता बनर्जी की सरकार महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रही है।
 
उन्होंने दावा किया कि बलात्कार तथा अन्य अपराधों के बढ़ते मामले बताते हैं कि पश्चिम बंगाल में कोई महिला सुरक्षित नहीं है। बीते दस वर्षों में महिलाओं की सुरक्षा में विफल रहने के बाद ‘मैं बंगाल की बेटी हूं’ नारे का कोई कोई फायदा नहीं मिलने वाला।
यूं तो भाजपा ने भी उम्मीदवारों की सूची में महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने का वादा किया था, लेकिन पहले दो चरण के चुनाव के लिए उसने केवल 6 महिला उम्मीदवारों को उतारा है। 
 
तृणमूल के सूत्रों का कहना है कि 2009 से ममता बनर्जी का मजबूत समर्थन कर रही, अनेक महिला मतदाताओं ने 2019 लोकसभा चुनाव से पहले उज्ज्वला योजना जैसी योजनाओं के चलते भाजपा के प्रति रुझान दिखाया था, जिसके बाद राज्य में सत्तारूढ़ दल को उनके लिए अनेक योजनाएं लाने पर मजबूर होना पड़ा।
 
हालांकि भाजपा के एक वरिष्ठ नेता यह स्वीकार करते हैं कि मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा नहीं होना या फिर ममता बनर्जी के कद की कोई आक्रामक नेता नहीं होना पार्टी के लिए नुकसानदायक है। हालांकि पार्टी बलात्कार के मामलों तथा उत्तर बंगाल एवं आदिवासी क्षेत्रों से तस्करी के मामलों को उठाकर महिलाओं का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कई बार यह दावा किया है कि तृणमूल का ‘मां, माटी, मानुष’ का नारा अब ‘महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, अवैध वसूली और तुष्टिकरण’ रह गया है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक सुमन भट्टाचार्य का मानना है कि महिला सशक्तिकरण के इर्दगिर्द चल रहा विमर्श बंगाल चुनाव में पहले कभी इतना महत्वपूर्ण नहीं रहा है जितना कि इस बार है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

इंदौर में ग्रामीण महिलाओं का हुआ सम्‍मान, 'आत्मनिर्भर भारत' वेबसाइट लांच