पश्चिम बंगाल में चुनाव का घमासान चल रहा है, प्रधानमंत्री मोदी ने आज वहां रैली की है। इस दौरान बॉलीवुड अभिनेता की उपस्थिति पर सब की नजर थी। वे भाजपा में शामिल हो गए हैं और आते ही उन्होंने राजनीतिक बयानबाजी शुरू कर दी है।
लेकिन बता दें कि इसके पहले भी मिथुन राजनीति में आकर सन्यास ले चुके हैं। हालांकि 70 वर्षीय अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती की पहली सियासी पारी बहुत छोटी रही थी। चार साल के सियासी संन्यास के बाद उन्होंने अपनी दूसरी पारी का आगाज किया है। लोकप्रिय अभिनेता ने अब भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा है। इससे पहले वो राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी रह चुके हैं और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं।
साल 2011 में जब ममता बनर्जी ने राज्य में 34 वर्षों के वाम दलों के शासन का अंत किया तो उनकी लोकप्रियता उभार मार रही थी। तभी मिथुन चक्रवर्ती को ममता बनर्जी ने राजनीति से जुड़ने का न्योता भेजा था। मिथुन ने इस ऑफर को स्वीकार कर लिया।
2014 में मिथुन चक्रवर्ती तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा चुनाव जीतकर संसद के ऊपरी सदन पहुंचे, लेकिन करीब ढाई साल के कार्यकाल में वो सिर्फ तीन दिन ही संसदीय कार्यवाही में भाग ले सके।
2015-2016 में जब शारदा चिटफंड घोटाले में मिथुन चक्रवर्ती का भी नाम जुड़ा तो उन्होंने दिसंबर 2016 में राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने खुद को राजनीति से अलग कर लिया और सियासी जगत से संन्यास ले लिया। लेकिन चार साल बाद एकबार फिर उन्होंने अब बीजेपी के साथ अपनी दूसरी सियासी पारी का आगाज किया है। मिथुन के बीजेपी में शामिल होने की पटकथा तभी लिख दी गई थी, जब उनकी संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात हुई थी।
शनिवार की देर शाम जब बीजेपी के राज्य प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कोलकाता के बेलगाचिया इलाके में उनके घर पर जाकर मुलाकात की तो सारा दृश्य साफ हो चुका था।
मिथुन चक्रवर्ती शारदा कंपनी में ब्रांड एंबेसडर थे। प्रवर्तन निदेशालय ने उनसे भी इस घोटाले में पूछताछ की थी। इसके बाद मिथुन चक्रवर्ती ने करीब 1.20 करोड़ रुपये कंपनी को लौटा दिए थे और कहा था कि वो फर्जीवाड़ा का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं।
वैसे तृणमूल में शामिल होने से पहले मिथुन चक्रवर्ती को वामपंथी समझा जाता था। वाम दलों के सरकार के दौरान उन्हें तत्कालीन खेल मंत्री सुभाष चक्रवर्ती का करीबी समझा जाता था। युवावस्था में मिथुन ने खुद को वामपंथी बताया था। इसी वजह से जब उन्होंने ममता का दामन थामा था तो राज्य के लोगों को आश्चर्य हुआ था। लेकिन अब एक बार फिर से उन्होंने भाजपा का दामन थाम कर सभी को हैरान कर दिया है।