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जम्मू कश्मीर में अपहरण के बाद तीन पुलिसकर्मियों की हत्या

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सुरेश डुग्गर

, शुक्रवार, 21 सितम्बर 2018 (18:17 IST)
श्रीनगर। कश्मीर में आतंकियों ने अपहृत 6 पुलिस वालों में से 4 की हत्या कर दी। इस घटना के बाद 'दहशतजदा' 7 पुलिस वालों ने अपनी नौकरी से इस्तीफे दे दिए। इस घटना के बाद पुलिस और आतंकियों द्वारा एक-दूसरे के परिवारों व घरों पर 'हल्लाबोल' की मुहिम छेड़ी गई है जिससे दोनों ही के परिवार त्रस्त हो गए हैं।
 
 
कश्मीर वादी के शोपियां में शुक्रवार सुबह हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने पहले 3 एसपीओ (स्पेशल पुलिस अफसर) समेत 6 लोगों को अगवा किया और उसके सभी पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी। इस वारदात के बाद घाटी में इतनी दहशत है कि अब तक 7 एसपीओ अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं।
 
3 पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस महकमे में भी हड़कंप मचा हुआ है। 2 पुलिसकर्मियों ने विभाग को वीडियो मैसेज के जरिए इस्तीफा सौंप दिया है। हालांकि गृह मंत्रालय ने इसे खारिज किया है। गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले से कहा है कि यह रिपोर्ट गलत और प्रायोजित है। इस तरह की रिपोर्ट कुछ शरारती तत्वों द्वारा गलत प्रॉपेगंडा पर आधारित है।
 
शुक्रवार सुबह के शुरुआती घंटों में आतंकियों ने पुलिसकर्मियों को उनके घरों से अगवा कर लिया था। इसके कुछ देर बाद उनके शव एक बाग में मिले। मारे गए पुलिसकर्मियों की पहचान कॉन्स्टेबल निसार अहमद और 2 स्पेशल पुलिस ऑफिसर (एसपीओ) फिरदौर अहमद और कुलवंत सिंह के रूप में हुई है।
 
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उन्हें बाटागुंड और कपरान गांव स्थित उनके घर से शुक्रवार सुबह अगवा किया गया था। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों ने उन्हें ढूंढने के लिए गहन छानबीन शुरू की थी लेकिन आतंकियों ने उनकी गोलियों से भूनकर हत्या कर दी। उनके शव वांगम में एक बाग से बरामद किए गए।
 
पुलिस ने बताया बाटागुंड गांव के लोगों ने भी आतंकियों का पीछा किया था और पुलिसकर्मियों की रिहाई के लिए अपील की थी। लेकिन आतंकियों ने ग्रामीणों को डराने के लिए हवा में फायरिंग कर दी। हिज्बुल मुजाहिदीन के कथित ट्विटर हैंडल से घटना की जिम्मेदारी ली गई।
 
बताया जा रहा था कि साथियों की हत्या से निचली रैंक के पुलिसकर्मियों में दहशत पैदा हो गई और करीब 2 पुलिसकर्मियों ने वीडियो मैसेज जारी कर खुद को फोर्स से अलग करने की घोषणा की। सोशल मीडिया में एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें कहा गया है- 'मेरा नाम इरशाद अहमद बाबा है और मैं पुलिस में कॉन्स्टेबल पद पर हूं। मैं अपना इस्तीफा सौंप रहा हूं।'
 
जम्मू-कश्मीर पुलिस के एसपीओ तजाल्ला हुसैन लोन ने कहा कि उन्होंने 17 सितंबर को पुलिस विभाग से इस्तीफा दे दिया और वह ये वीडियो इसलिए जारी कर रहे हैं ताकि उनके इस कदम को लेकर किसी तरह का कोई शक नहीं बना रहे। इस्तीफा देने वाले अफसरों ने वीडियो डालकर इस बात की जानकारी दी है। इन अफसरों में नवाज अहमद लोन, शबीर अहमद ठोकर, नसीर अहमद भट, तजल्ला हुसैन लोन इरशाद बाबा, मुदासिर अहमद व एक अन्य हैं।
 
सुबह जिन 3 पुलिसकर्मियों को आतंकियों ने अगवा किया था उनकी हत्या कर दी है, वहीं एक एसपीओ के भाई को रिहा कर दिया है। बताया जा रहा है कि जिन पुलिस वालों का अपहरण हुआ है उनमें 3 एसपीओ यानी स्पेशल पुलिस अफसर थे और एक एसपीओ का भाई है। दरअसल, हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर रियाज नायकू ने कई बार स्थानीय पुलिसकर्मियों खासकर एसपीओ को नौकरी छोड़ने की धमकी दी थी और कहा था कि सरकार उनका इस्तेमाल कर रही है।
 
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी ट्विटर पर इस घटना पर खेद जताया है। उन्होंने लिखा कि 3 पुलिसकर्मियों ने आतंकवादियों की गोलियां खाकर अपनी जान गंवा दी। हमेशा की तरह गुस्सा, दु:ख और निंदा जैसे शब्द सुनने को मिलेंगे, लेकिन दुर्भाग्य से इससे मृतकों के परिवारों को सांत्वना नहीं मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि स्पष्ट रूप से पुलिसकर्मियों और उनके परिवारों के अपहरण की घटनाओं में वृद्धि के साथ केंद्र सरकार की नीति बिलकुल काम नहीं कर रही है। संवाद अब एकमात्र रास्ता प्रतीत होता है।

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