मेरठ। कृषि अध्यादेश को लेकर जहां एक तरफ विपक्ष मोदी सरकार को घेर रहा है, वहीं भारतीय किसान यूनियन ने भी इस अध्यादेश को खिलाफ बागपत, मेरठ, मुजफ्फरनगर और शामली को जाम कर डाला है। बागपत में दिल्ली-यमुनोत्री हाइवे, मेरठ में NH 58 को किसानों ने सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक चक्का जाम किए रखा। बागपत में किसानों ने नेशनल हाइवे 709बी पर कब्जा जमाते हुए हुक्का गुड़गुड़ाया, वहीं बड़ौत तहसील क्षेत्र में भी जाम लगाकर अपने गुस्से का इजहार किया।
बागपत से मेरठ जाने वाले रास्ते को टटीरी में ब्लॉक कर दिया गया, जबकि दाहा, दोघट, हिसावदा में भी किसान सड़कों पर उतर आए। हाइवे पर ट्रैक्टर-ट्रॉली भैंसा-बुग्गी खड़े कर सड़के जाम कर दी गई थी। भारतीय किसान यूनियन ने अलग-अलग नेताओं को अलग-अलग जाम लगाने की जिम्मेदारी दी गई थी, उन्होंने जाम भी ऐसा लगाया कि परिंदा भी पर न मार पाए।
भारतीय किसान यूनियन के सुप्रीमो राकेश टिकैत ने साफ कह दिया है कि कृषि अध्यादेश किसानों को बर्बाद कर डालेगा और कांट्रेक्ट फार्मिंग से किसान अपनी ही जमीनों पर मजदूर बन जाएंगे। कई फसलों की स्टॉक सीमा खत्म होने से कालाबाजारी बढ़ेगी और ऐसे में किसान आबाद नहीं बल्कि बर्बाद हो जाएगा।
वही प्रयागराज के बालसन चौराहे पर कृषि बिल के विरोध में समाजवादी पार्टी और एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने जमकर प्रदर्शन करते हुए हंगामा किया। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच जमकर झड़प हुई, जिसके चलते पुलिस ने एक दर्जन से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर पुलिस लागन भेज दिया।
आज सरकार के विरुद्ध किसान सड़कों पर उतर तो आए, लेकिन उनके इस महा आंदोलन में सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई। वह यह भूल गए कि कोरोना का संकट सिर पर मंडरा रहा है। आज पश्चिमी उत्तर-प्रदेश में भी भारी संख्या में किसानों ने जुलूस निकाला और मुख्य सड़कों और हाईवे को जाम कर दिया। आक्रोशित किसानों को देखकर प्रशासन के हाथ पांव फूल गए थे, लेकिन बाद में यह आंदोलन शांतिपूर्वक समाप्त हो गया।