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दिन-प्रतिदिन लंबी हो रही अंकिता हत्याकांड से उपजे सवालों की फेहरिस्त, कई रसूखदार सवालों के घेरे में

हमें फॉलो करें दिन-प्रतिदिन लंबी हो रही अंकिता हत्याकांड से उपजे सवालों की फेहरिस्त, कई रसूखदार सवालों के घेरे में

एन. पांडेय

, बुधवार, 28 सितम्बर 2022 (15:12 IST)
देहरादून। अंकिता की हत्या के बाद मचे बवंडर के चलते राज्य सरकार द्वारा भले ही वनंत्रा रिसॉर्ट स्वामी और उसके 2 प्रबंधकों की गिरफ्तारी कर ली गई हो, लेकिन अब भी कई इस हत्याकांड से उपजे कई प्रश्न अनुत्तरित ही हैं। पूरे मामले में सरकारी अमले के पॉवरफुल लोगों समेत सफेदपोश तक के साजिश में शामिल होने का संदेह जताया जा रहा है।
 
ऐसे में आधी रात रिसॉर्ट में अंकिता के कमरे वाले हिस्से को बुलडोजर से तोड़े जाने से साक्ष्य मिटाने के प्रयासों के आरोप भी सरकारी पक्ष पर चस्पा होते नजर आ रहे हैं। पुलिस तोड़फोड़ से पहले ही साक्ष्य जुटा लेने का दावा भले कर रही है लेकिन अंकिता के कमरे का नजारा जांच की पोल खोल रहा है।
 
इस कमरे में घटना के बाद से बेरोकटोक आवाजाही हो रही है। अंकिता का सामान वहीं पड़ा हुआ है, यहां तक कि 18 सितंबर की रात उसके कमरे में जो खाना पहुंचाया गया, वह 9 दिन बाद भी वैसे का वैसा ही पड़ा हुआ है। यहां लगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी टूटे पड़े हैं यानी परिस्थितियां साफ संकेत दे रही हैं कि इस जघन्य हत्याकांड की कड़ियां कुछ और रास्तों से होकर भी गुजरी हैं।
 
हत्याकांड का खुलासा जैसे ही हुआ, अंकिता के कमरे को रातोरात बुलडोजर से तुड़वा दिया गया। यह किसके इशारे पर हुआ? इससे पर्दा अब तक नहीं उठा है। स्थानीय विधायक से लेकर सरकार तक इसका श्रेय ले चुके हैं। लेकिन जैसे ही यह कार्रवाई सवालों पर घिरी, सबकी बोलती बंद है। सवाल उठने शुरू हुए तो सभी ने पल्ला झाड़ लिया। इसी तरह प्रशासनिक अधिकारियों ने भी पहले तोड़फोड़ का आदेश देने का दावा किया, मगर बाद में जिम्मेदारी लेने से पलट गए। अंकिता इसी रिसॉर्ट के एक कमरे में रहती थी।
 
अंकिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सार्वजनिक करने को लेकर रविवार को ग्रामीणों ने 6 घंटे तक बद्रीनाथ राजमार्ग बंद रखा। पुलिस-प्रशासन से लेकर सरकार तक ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट सार्वजनिक करने का आश्वासन दिया, तब ग्रामीण माने। मगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है। मात्र यह कहा जा रहा है कि अंकिता के परिजनों के साथ इसे साझा किया गया है।
 
हत्या के मुख्य आरोपी पुलकित आर्य का कहना है कि घटना वाली रात अंकिता ने उसका मोबाइल चीला नहर में फेंक दिया था। इसके बाद आरोपियों ने अंकिता को नहर में धक्का दिया। जबकि अंकिता के दोस्त पुष्प का कहना है कि अंकिता का मोबाइल बंद होने के पौन घंटे बाद उसकी पुलकित से मोबाइल पर बात हुई।
 
अंकिता का शव तो मिला लेकिन उसके मोबाइल को लेकर स्थिति साफ नहीं हुई। साफ है कि दोनों के मोबाइल को लेकर झोल कुछ इशारा करता है, जो कि हत्या आरोपी के रसूख की ओर है। ये दोनों ही मोबाइल बहुत महत्वपूर्ण साक्ष्य हो सकते थे। रिसॉर्ट में बुलडोजर से तोड़फोड़ और आगजनी सिर्फ अंकिता के कमरे में ही की गई। एलसीडी समेत तमाम अन्य सामान को तोड़ने के साथ ही सीसीटीवी कैमरे के तार काट दिए गए। पर्दों में भी आग लगा दी गई। यह सब अंकिता के कमरे में ही क्यों? यह सवाल भी महत्वपूर्ण है।
 
आधी रात में स्थानीय विधायक की मौजूदगी में बुलडोजर चलाने की क्या जरूरत आन पड़ी, यह सवाल भी सबकी जुबान पर तैर रहा है। अंकिता की हत्या की पटकथा वनंत्रा रिसॉर्ट में लिखे जाने के बावजूद संगीन अपराध से जुड़ाव होने के बाद भी रिसॉर्ट में लोगों की आवाजाही को बेरोकटोक जारी रखना सवाल खड़े करता है। घटना के बाद यहां पुलिसकर्मी तैनात तो किए गए हैं, लेकिन वहां कौन आ रहा है और कौन जा रहा है, इसका कोई हिसाब रखता नजर नहीं आ रहा।
 
सप्ताहभर बाद भी इस सवाल का जवाब देने को कोई तैयार नहीं कि जिन्हें अंकिता को 'स्पेशल सर्विस' देने के लिए कहा गया, वह आखिर था कौन? अंकिता के लापता होने की सूचना 18 सितंबर को यानी उसकी हत्या वाली रात ही क्षेत्र के पटवारी वैभव प्रताप सिंह को मिल गई थी। उसने न रिपोर्ट दर्ज की और न ही आला अधिकारियों को सूचना दी। पटवारी ने ऐसा क्यों किया, इसका जवाब मिलना बाकी है।
 
हत्याकांड के तीसरे दिन 20 सितंबर को क्षेत्र के पटवारी वैभव प्रताप सिंह छुट्टी पर चले गए। हालांकि इसके पीछे उन्होंने अपने परिवारजनों की बीमारी का हवाला दिया। मगर इतनी गंभीर घटना के बाद अचानक पटवारी का छुट्टी पर जाना भी कई सवालों को जन्म दे रहा है। रिसॉर्ट की छत में मिले पिंजरे से भी कई सवाल उठ खड़े हुए हैं कि क्या कहीं वन्यजीवों का शिकार भी तो नहीं किया जा रहा था यहां?
 
रिसॉर्ट के पास एक वीआईपी गेस्ट हाउस भी है जिसमें ऐशोआराम के सारे इंतजाम किए गए हैं। यहां पुलकित के कौन से वीआईपी मेहमान ठहरते थे और वहां क्या होता था, यह भी अब तक राज बना हुआ है। 18 सितंबर को वीआईपी मेहमानों के जाने के बाद पुलकित आधे घंटे तक अंकिता के कमरे में था।
 
इस दौरान लगातार अंकिता के रोने और चिल्लाने की आवाज आती रही, मगर यह अब तक साफ नहीं हो पाया है कि इस दौरान अंकिता के साथ क्या घटा? उससे पहले पूरे स्टाफ को ऊपरी मंजिल पर भेज दिया गया। अंकिता की चीख-पुकार सुनकर भी स्टाफ उसकी मदद के लिए नीचे आने की हिम्मत नहीं जुटा सका।
 
सीएम ने भेजा 25 लाख का चेक : अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर उत्तराखंड के सभी शहरों में लोगों के आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अंकिता भंडारी के परिजनों को 25 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की है। धामी ने अधिकारियों को इसके लिए निर्देश के बाद इस राशि का चेक संबंधित परिवार के मुखिया वीरेंद्र सिंह भंडारी के नाम जारी कर दिया है।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार अंकिता के परिवार के साथ है और उनकी हर प्रकार से सहायता करेगी। मामले की एसआईटी जांच की जा रही है। धामी ने कहा कि पूर्ण निष्पक्ष तरीके से जल्द से जल्द जांच पूरी की जाएगी। मामले से संबंधित हर तथ्य को जुटाते हुए पुख्ता तरीके से रिपोर्ट तैयार कर अपराधियों को सख्त से सख्त सजा दिलाना सुनिश्चित किया जाएगा।
 
धामी ने कहा कि मामले से संबंधित हर तथ्य को जुटाते हुए पुख्ता तरीके से रिपोर्ट तैयार कर अपराधियों को सख्त से सख्त सजा दिलाना सुनिश्चित किया जाएगा। अपराधियों को ऐसी सजा दिलाई जाएगी, जो आगे के लिए भी नजीर बने। पीड़ित परिवार को त्वरित न्याय मिल सके, इसके लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई के लिए माननीय न्यायालय से अनुरोध किया गया है।

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