रूड़की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), रूड़की के वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने भूकंप की चेतावनी देने वाली एक ऐसी प्रणाली विकसित की है जिसमें भूकंप से 1 मिनट पहले लोगों को इसके आने की जानकारी मिल सकती है।
उत्तराखंड के कुछ इलाके में पहले से ही ऐसी प्रणाली लगी हुई है जिसमें ऐसे नेटवर्क सेंसर लगे हुए हैं, जो भूकंप के बाद पृथ्वी की परतों से गुजरने वाली भूकंपीय तरंगों की पहचान करते हैं। आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर मुक्तलाल शर्मा ने बताया कि मौजूदा समय में भूकंप का पूर्वानुमान लगाने के लिए जो तकनीक है, वह वास्तव में काम नहीं करती है। लोग सांख्यिकीय गणना के आधार पर इसका अनुमान लगाने की कोशिश करते हैं लेकिन अब तक ज्ञात जितने भी तरीके हैं, वे सटीक नहीं हैं। दरअसल यह प्रणाली लोगों को भूकंप की जानकारी उसके आने से 10 सेकंड से 1 मिनट पहले तक दे सकती है।
शर्मा ने बताया कि हिमालयी क्षेत्र में विवर्तनिकी प्लेट (टेक्टोनिक प्लेट) की गतिविधि की वजह से भूकंप आता है इसलिए देहरादून के लोगों को भूकंप से पहले सिर्फ 11 सेकंड का समय मिलेगा जबकि दिल्ली में रहने वाले लोगों को भूकंप से 1 मिनट पहले इसकी चेतावनी मिल जाएगी।
उन्होंने 16वीं भूकंप इंजीनियरिंग संगोष्ठी से इतर कहा कि भले ही इतना कम वक्त इमारतों को खाली कराने के लिए काफी न हो लेकिन इस चेतावनी की वजह से लोग खुद को खतरनाक चोटों से बचा सकते हैं, वहीं परमाणु ऊर्जा संयंत्र बंद करने, मेट्रो ट्रेन रोकने या गैस आपूर्ति रोकने में 1 मिनट का समय मिलने से मदद मिल सकती है।
शर्मा ने कहा कि हम इमारतों को तो नहीं बचा सकते लेकिन कुछ और जानें बचा सकते हैं। उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जिलों में 100 से ज्यादा सेंसर लगाए गए हैं। उत्तर भारत के अन्य राज्यों में यह प्रणाली लगाने के लिए उन्होंने राष्ट्रीय आपदा प्रबंध प्राधिकरण (एनडीएमए) और पृथ्वी मंत्रालय और दूरसंचार मंत्रालय से भी संपर्क किया है, हालांकि अभी तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई है।