Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

वाराणसी में बाढ़ से घाट डूबे, गलियों में हो रहे हैं दाह संस्कार

Advertiesment
हमें फॉलो करें Weather Updates
, शुक्रवार, 26 अगस्त 2022 (16:34 IST)
वाराणसी (उत्‍तर प्रदेश)। वाराणसी में गंगा और वरुणा नदी का जल स्तर बढ़ने से जनजीवन प्रभावित हो रहा है और यहां के हरिशचंद्र और मणिकर्णिका घाटों के पानी में डूब जाने से शवों का दाह संस्कार आसपास की गलियों में करना पड़ रहा है। हालात के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिंता जताते हुए जरूरी निर्देश दिए हैं।

यहां के सभी घाट और आसपास के निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं, जिससे तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोग विस्थापन को मजबूर हैं। एक अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गंगा के बढ़ते जल स्तर और बाढ़ पीड़ितों के विस्थापन को लेकर गुरुवार को चिंता व्यक्त की और अधिकारियों को फोन कर राहत शिविरों में रह रहे लोगों को हरसंभव सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया।

प्रधानमंत्री ने जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा और आयुक्त दीपक अग्रवाल को फोन कर राहत शिविर में रह रहे लोगों को हरसंभव सहायता प्रदान कराने के लिए कहा और आवश्यकता पड़ने पर सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से संपर्क करने का निर्देश दिया।

केंद्रीय जल आयोग के अनुसार शुक्रवार की सुबह आठ बजे वाराणसी में गंगा नदी का जल स्तर चेतावनी बिंदु 70.262 से बढ़कर 70.86 मीटर पर पहुंच गया, जो कि खतरे के निशान 71.262 मीटर से महज 0.40 मीटर नीचे है।

वरुणा नदी में भी जल स्तर उफान पर है। वरुणा के किनारे बसे रिहायशी इलाकों में पानी घुसना शुरू हो गया है। हालात को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत शिविरों में भेजा जा रहा है। राहत शिविरों में विस्थापित लोगों को खाने-पीने के साथ ही चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।

वाराणसी के तटवर्ती इलाकों में बाढ़ का पानी आ जाने से नगवा, सामने घाट, मारुति नगर, काशीपुरम, रमना आदि क्षेत्र जलमग्‍न हो गए हैं। सामने घाट निवासी वीरेंद्र चौबे ने बताया कि जैसे ही घरों में पानी घुसना शुरू हुआ, उन्होंने अपने परिवार को गांव भेज दिया पर खुद रुककर मकान में रखे सामान की हिफाजत के लिए परेशानियों से जूझ रहे हैं।

हुकुलगंज निवासी चंद्रकांत सिंह ने बताया कि हुकुलगंज और नई बस्ती में 100 से अधिक घर बाढ़ से प्रभावित हैं। घरों में पानी घुसने से काफी नुकसान हो चुका है। जिला प्रशासन बाढ़ से घिरे लोगों को राहत शिविर में ले जाने की तैयारी कर रहा है।

गंगा के बढ़ते जल स्तर से अस्सी घाट से लेकर नमो घाट तक पूरी तरह डूब चुके हैं। इलाके के लोगों ने बताया कि हरिशचंद्र घाट और मणिकर्णिका घाट पर पानी भर जाने से यहां शवदाह या तो आसपास की गलियों या छतों पर करना पड़ रहा है। जगह कम होने से शवदाह करने आए लोगों को काफी इंतजार भी करना पड़ रहा है।

जिलाधिकारी और आयुक्‍त ने सरैया, ढेलवरिया सहित अन्य बाढ़ राहत शिविरों का निरीक्षण किया तथा मौके पर मौजूद अधिकारियों को राहत शिविरों में रह रहे बाढ़ प्रभावित लोगों को किसी भी प्रकार की समस्या न होने देने का निर्देश दिया।

जिला प्रशासन के अनुसार, जिले में कुल 40 बाढ़ राहत शिविर तय किए गए हैं, जिनमें से अभी 11 बाढ़ राहत शिविर क्रियाशील हैं। बाढ़ राहत शिविर में गुरुवार तक कुल 280 परिवारों के 1290 लोग शरण लिए हैं, जिसमें 12 वर्ष से कम बच्चों की संख्या 382 और वृद्धों की संख्या 132 है।

प्रशासन ने दावा किया कि शिविर में रह रहे व्यक्तियों के भोजन-पानी का समुचित प्रबंधन करने के साथ ही साफ बिस्तर, प्रकाश, शौचालय, मेडिकल सुरक्षा आदि की व्यवस्था की गई है। शिविर में विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों को तैनात किया गया है।

प्रत्येक बाढ़ राहत शिविर पर उपजिलाधिकारी, अपर नगर मजिस्ट्रेट, तहसीलदार और नायब तहसीलदार को नोडल अधिकारी बनाया गया है। जनपद में राहत शिविरों के लिए कुल 40 मेडिकल टीम का गठन किया गया है।बाढ़ से प्रभावित होने वाले पशुओं के लिए भूसा की व्यवस्था की गई है तथा राहत शिविरों में पशु चिकित्साधिकारी तैनात किए गए हैं।(भाषा) 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले गुलाम नबी आजाद क्या जम्मू कश्मीर में बनेंगे किंगमेकर?