कोयंबटूर। अगर हमें अपने लगातार काम से छुट्टी नहीं मिलती है तो आदमी का चिड़चिड़ा होना स्वाभाविक है। इस मामले में बड़े और बच्चे ही नहीं, वरन पशु-पक्षी भी चाहते हैं कि कुछ समय उन्हें अपनी पसंद से बिताने का मौका दिया जाए।
ज्यादातर काम की जगहों पर भले ही इस बात को ध्यान में नहीं रखा जाता हो लेकिन दक्षिण भारत के मंदिर इस मामले में काफी संवेदनशील हैं और इन्हें संचालित करने वाले लोगों को मंदिरों से जुड़े हाथियों की भी चिंता रहती है।
जानकारों का कहना है कि तमिलनाडु के प्रसिद्ध रामेश्वरम मंदिर में इन दिनों खासा उत्साह है क्योंकि मंदिर के सभी हाथी एक महीने की छुट्टी पर कोयंबटूर के ठेक्काम्पत्ति शिविर जा रहे हैं। इसके लिए हाथियों की बाकायदा साज-सज्जा की जाती है।
पारंपरिक रूप से इन हाथियों की सजावट का काम इनके महावत करते हैं। इसके बाद ये महावत इन को लेकर ठेक्काम्पत्ति के लिए निकल जाते हैं। जहां हर साल राज्य सरकार का हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ मंत्रालय एक खास कायाकल्प कैंप का आयोजन करता है।
इस कैंप में हाथियों को लंबी सैर पर ले जाने के साथ-साथ उन्हें नहलाया जाता है और उनकी मेडिकल जांच भी की जाती है। इसके अलावा कैंप में हाथियों को पूरे महीने मुफ्त भोजन भी दिया जाता है। इस कैंप को दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता ने शुरू किया था।
इस साल भी उम्मीद की जा रही है कि ठेक्काम्पत्ति में लगभग 33 हाथी इस कैंप में भाग लेंगे। इस कैंप का उद्घाटन हिंदू धर्म एवं दान मंत्रालय के मंत्री एसएस रामचंद्रन ने किया और कैंप की गतिविधियां अपने योजनाबद्ध कार्यक्रम के अनुसार चल रही हैं।