झांसी। अकाल जैसे हालात झेल रहे सूखाग्रस्त बुंदेलखंड में लोग पानी के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं।
झांसी, महोबा, हमीरपुर, बांदा, जालौन, ललितपुर और चित्रकूट में पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मची है। क्षेत्र में जलाशयों का जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। हैंडपंप जवाब दे गए हैं। कुओं में पानी तलहटी में चला गया है। खेतों में पड़ी दरारें इलाके में सूखे की विकराल स्थिति को बयां करने के लिए काफी हैं।
प्रचंड गर्मी के बीच पानी की समस्या से पशु-पक्षियों के मरने का सिलसिला जारी है। चारे की समस्या के चलते कई ग्रामीणों ने अपने मवेशियों को छुट्टा छोड़ दिया है। किसानों के सामने परिवार पालने की समस्या पैदा हो गई है। कई नौजवान किसान रोजी-रोटी की तलाश में अन्य स्थानों पर पलायन कर गए हैं। कुछ गांवों में स्थानीय प्रशासन को टैंकरों से पानी पहुंचाना पड़ रहा है। इसके बावजूद क्षेत्र में हालात भयावह हैं।
झांसी से मिली रिपोर्ट के मुताबिक वहां के लोग बेहाल हैं। मऊरानीपुर क्षेत्र में सूखे का अधिक प्रकोप है। क्षेत्र के रामसजीवन का कहना है- 'भइया अइसो हालात कबहुं नाहीं भय रहौ। हमन का तो जाए दो जानवरन कै हाल तौ और बुरा हौ।' किले के पास जलस्तर काफी नीचे चले जाने से आसपास के लोगों को पीने के पानी की दुश्वारियां बढ़ गई हैं। पेयजल के लिए लोगों को दूर जाना पड़ रहा है।
चित्रकूट से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार जिले में सूखे को लेकर भयावह स्थिति बनी हुई है। रसिन डैम, बरुआ डैम सूखे पड़े हैं। ओहन डैम का भी यही हाल है। स्वजलधारा योजना भी बंद पड़े होने से पूरे इलाके में किसानों में पलायन की स्थिति बनी हुई है।
चित्रकूट-बांदा के सांसद भैरो प्रसाद मिश्रा ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुंदेलखंड को राहत देने के लिए प्रदेश सरकार को 1,304 करोड़ रुपए दिए और 1 सप्ताह में किसान के खाते में धनराशि भेजने को भी कहा है, मगर राज्य सरकार ने 1 महीना बीतने के बाद भी किसानों के खातों में 1 भी रुपया नहीं भेजा है। इसके लिए उन्होंने सीबीआई जांच की मांग की है।
सांसद का आरोप है कि सूखे से निपटने के लिए जिला प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। जिले में सूखे की हालत भयावह नहीं होने संबंधी जिला प्रशासन का दावा सरासर गलत है। इस संबंध में हालांकि जिला प्रशासन का कहना है कि मवेशियों के लिए पानी की व्यवस्था करने के लिए तालाबों में पानी भरने का काम जारी है। 1,432 ऐसे तालाबों को चिह्नित किया है जिनमें पानी भरा जाना है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि विभिन्न ब्लॉकों के 425 तालाबों में पानी भरने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 129 ऐसे तालाब हैं जिनमें बारिश का पानी संचित है। जिला पंचायत राज अधिकारी आरपी सिंह ने बताया कि 425 तालाब जल्द ही भर दिए जाएंगे और शेष तालाबों को 10 दिन के अंदर भर दिया जाएगा।
हमीरपुर से प्राप्त रिपोर्ट में जिले में सूखे से बुरी तरह कराह रहे किसानों को रोटी के लाले पड़े हुए हैं। किसानों का पलायन लगातार जारी है। आलम यह है कि जलस्तर करीब 7 मीटर नीचे चले जाने से 50 फीसदी हैंडपंप और सरकारी, गैरसरकारी नलकूपों ने पानी देना बंद कर दिया है। चारे की समस्या को देखते हुए कई किसानों ने पशुओं को छुट्टा छोड़ दिया जिससे जिले का सहकारी दुग्ध संघ बंद होने की कगार में आ गया है।
हालांकि प्रशासन ने दावा किया है कि किसानों के खाते में सूखा राहत की 552 लाख की धनराशि डाल दी गई है। सूखा व आर्थिक तंगी के चलते करीब 1 माह में 40 किसानों की सदमे से मृत्यु हो गई है या उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। यहां तक कि बीमा व सूखे का मुआवजे के चेक पाने व बैंकों में कैश कराने के लिए हजारों किसान चक्कर लगा रहे हैं।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जिले में रबी फसल के लिए कृषि योग्य भूमि 3 लाख 14 हजार 97 हजार हैक्टेयर है जिसमें मात्र 50 हजार हैक्टेयर भूमि ही बोई गई थी, शेष भूमि में नमी न होने के कारण किसानों ने परती छोड़ दी थी। यही नहीं, उसमें भी सिंचाई न होने के कारण नाममात्र की पैदावार हुई थी।
सांख्यिकी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार गेहूं का उत्पादन 1 बीघा में मात्र 2 क्विंटल, चने का उत्पादन 1 बीघा में मात्र 70 किलोग्राम, मटर का उत्पादन 1 बीघा में मात्र 1 क्विंटल, लाही का उत्पादन 1 बीघा में मात्र 70 किलोग्राम, सरसों का उत्पादन 1 बीघा में 40 किलोग्राम व मसूर का उत्पादन 1 बीघा में मात्र एक क्विंटल हुआ है, जो पिछले वर्ष से 30 फीसदी से भी कम है।
प्रशासन ने दावा किया है कि सूखा राहत की जो धनराशि शासन से प्राप्त हुई थी, किसानों को उनके चेक वितरित कर दिए गए हैं। मगर हकीकत यह है कि बैंकों में लाखों रुपए डंप पड़ा हुआ है। अकेले मौदहा कस्बे में 547 किसानों को 37 लाख के चेक वितरित नहीं किए गए हैं। इसी क्षेत्र के ग्राम पंचायत अरतरा में 110 किसानों के चेक का भुगतान नहीं हुआ है। (वार्ता)