मुंबई। मुंबई में रहने वाले काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय को बदनाम करने का षड्यंत्र किया जा रहा है। उन्होंने परिसर में हुई हिंसा से निपटने में असफल रहने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की भी आलोचना की है।
बीएचयू में कथित छेड़खानी के खिलाफ शनिवार को हो रहे प्रदर्शन के हिंसक हो जाने के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था जिसमें छात्राएं और 2 पत्रकारों समेत कई अन्य छात्र घायल हो गए थे।
यह हिंसा उस समय भड़की, जब बृहस्पतिवार को हुई छेड़खानी की घटना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने बनारस के रहने वाले विश्वविद्यालय के कुलपति से उनके निवास पर मिलना चाहा। बीएचयू एलुमनी और नौसेना की एक अकादमी में बतौर कंसल्टेंट काम कर रहे प्यारे लाल ने दावा किया है कि इस हिंसा की योजना विपक्षी दलों के निर्देशों पर बनाई गई।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1965-1980 के दौरान जब मैं वहां पढ़ता था, उस दौरान शैक्षणिक माहौल को खराब करने और लंबे समय तक विश्वविद्यालय को बंद रखवाने के लिए संयुक्त युवजन सभा के नेता जिम्मेदार रहे। अब फिर से विपक्षी पार्टियों के निर्देशों पर वही सब दोहराया जा रहा है।
मुंबई में बीएचयू के पूर्व छात्रों के समूह के एक दूसरे वरिष्ठ सदस्य मार्कंडेय सिंह ने कहा कि मेरे विचार से बीएचयू से बाहर के व्यक्ति इस हिंसा को हवा दे रहे हैं। षड्यंत्र का पता नहीं लगाया जा सकता। बीएचयू के छात्र कभी भी 'महामना' (विश्वविद्यालय के संस्थापक, मदन मोहन मालवीय को प्रेम से इस नाम से पुकारा जाता है) की प्रतिमा को अपवित्र नहीं कर सकते। हम राष्ट्रपति (भारत के) से उनके हस्तक्षेप को लेकर मुलाकात करने पर विचार कर रहे हैं। बीएचयू की पूर्व छात्रा सिद्ध विद्या ने छात्रों के एक समूह द्वारा लगाए जा रहे छेड़खानी के आरोपों को खारिज किया है।
उन्होंने कहा कि मैंने वहां पढ़ाई की है और 8 सालों तक लड़कियों के छात्रावास में रही हूं, लेकिन मैंने इस तरह के किसी भी मामले का कभी सामना नहीं किया। मैं कुछ समय पहले ही बीएचयू गई थी और वहां सबकुछ पहले जैसा ही था। मुझे पूरा यकीन है कि इसमें (हालिया घटनाओं के बारे में) जरूर कोई साजिश है। पूर्व छात्रों ने कैंपस में हुई हिंसा को काबू करने में नाकामयाब हुए प्रशासन की आलोचना की। (भाषा)