कुंभकर्ण की आश्चर्यजनक 6 खास बातें

अनिरुद्ध जोशी
बुधवार, 15 अप्रैल 2020 (11:50 IST)
रामायण काल में ऐसे कई मायावी असुर, दानव, वानर और राक्षस थे जो आश्चर्यजनकरूप से शक्तिशाली थे। जैसे वानर, गरूड़, रीछ, माल्यवान, सुमाली, माली, रावण, कालनेमि, सुबाहू, मारीच, कुंभकर्ण, कबंध, विराध, अहिरावण, खर और दूषण, मेघनाद, मयदानव, बालि आदि। आओ जानते हैं कुंभकर्ण की 6 खास बातें।
 
 
1. कुंभकर्ण का परिवार : कुंभकर्ण के दादा पुलस्त्य और दादी का नाम हविर्भुवा था। उसके पिता का नाम विश्वश्रवा था। ऋषि विश्वश्रवा ने ऋषि भारद्वाज की पुत्री इलाविदा से विवाह किया था जिनसे कुबेर का जन्म हुआ। विश्वश्रवा की दूसरी पत्नी कैकसी से रावण, कुंभकरण, विभीषण और सूर्पणखा पैदा हुई थी। खर, दूषण, कुम्भिनी, अहिरावण और कुबेर कुंभकरण के सौतेले भाई थे।
 
 
2. कुंभकर्ण की पत्नी : कुंभकर्ण की पत्नी वरोचन की कन्या वज्रज्वाला थीं। उसकी एक दूसरी पत्नी का नाम कर्कटी था। कुंभपुर के महोदर नामक राजा की कन्या तडित्माला से भी कुंभकर्ण का विवाह हुआ। कुंभकर्ण के एक पुत्र का नाम मूलकासुर था जिसका वध माता सीता ने किया था। दूसरे का नाम भीम था। कहते हैं कि इस भीम के कारण ही भीमाशंकर नामक ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई थी।
 
 
3. अविष्कारक कुंभकर्ण : रावण की सेना में अस्त्र-शस्त्र या यंत्र बनाने वाले एक से एक वैज्ञानिक थे। जैसे शुक्राचार्य भार्गव, शंबूक और कुंभकर्ण और वज्रज्वला। कुंभकर्ण अपनी पत्नी वज्रज्वाला के साथ अपनी प्रयोगशाला में तरह-तरह के अस्त्र-शस्त्र और यंत्र बनाने में ही लगे रहते थे जिसके चलते उनको खाने-पीने की सुध ही नहीं रहती थी। कुंभकर्ण की यंत्र मानव कला को ‘ग्रेट इंडियन' पुस्‍तक में ‘विजार्ड आर्ट' का दर्जा दिया गया है। इस कला में रावण की पत्‍नी धान्‍यमालिनी भी पारंगत थी। वरदान के पहले और एक दिन जागने के दौरान कुंभकर्ण यह कार्य करता था।
 
 
4. एक दिन छोड़कर वर्ष भर सोना : रावण का भाई कुंभकर्ण 6 महीने बाद 1 द‌िन जागता और भोजन करके फ‌िर सो जाता, क्‍योंक‌ि इसने ब्रह्माजी से इंद्रासन की जगह न‌िद्रासन का वरदान मांग ल‌िया था। इसका शरीर विशालकाय था।
 
 
5. खूब खाता था कुंभकर्ण : कहते हैं कि कुंभकरण जन्म लेते ही कई लोगों को खा गया था। जिससे खबराकर सारी प्रजा इंद्र से मदद मांगने लगी। उसके बाद इंद्र और कुंभकरण के बीच युद्ध हुआ लेकिन कुंभकर्ण ने इंद्र को हरा दिया था।
 
 
6. कुंभकर्ण की मृत्यु : युद्ध के दौरान क‌िसी तरह कुंभकर्ण को जगाया गया। कुंभकर्ण ने युद्ध में अपने व‌िशाल शरीर से वानरों पर प्रहार करना शुरू कर द‌िया इससे राम की सेना में हाहाकार मच गया। सेना का मनोबल बढ़ाने के ल‌िए राम ने कुंभकर्ण को युद्ध के ल‌िए ललकारा और भगवान राम के हाथों कुंभकर्ण वीरगत‌ि को प्राप्त हुआ। उसके शव के गिरने से लंका का बाहरी फाटक और परकोटा गिर गया।

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