हनुमानजी ने इन 2 बड़े कारणों से किया था लंकादहन

अनिरुद्ध जोशी
शनिवार, 11 अप्रैल 2020 (16:02 IST)
जब हनुमानजी ने श्रीराम के आदेश पर लंका में प्रवेश किया तो उन्हें कई बाधाओं का सामना करना पड़ा, जैसे विशालकाय समुद्र को पार करते वक्त राक्षसी सुरसा के मुख में से होकर निकलना और फिर लंका के चारों ओर बने सोने के परकोटे को फांदने के बाद लंकिनी नाम की एक राक्षसी को मार देना आदि। लंकिनी को मारने के बाद रावण तक यह खबर पहुंच जाती है कि कोई वानर महल में प्रवेश कर गया है।
 
 
इसके बाद महल में हनुमानजी विभीषण को रामभक्त जानकर उनसे मुलाकात करते हैं। फिर अक्षय वाटिका में प्रवेश कर माता सीता को राम की दी हुई अंगूठी देते हैं। इसके बाद वे अशोक वाटिका का विध्‍वंस कर देते हैं। इस खबर के फैलने के बाद मेघनाद का पुत्र अक्षय कुमार उन्हें मारने के लिए आता है लेकिन हनुमानजी उसका वध कर देते हैं। यह खबर लगते ही लंका में हाहाकार मच जाता है तब स्वयं मेघनाद ही हनुमानजी को पकड़ने के लिए आता है।
 
 
मेघनाद हनुमानजी पर कई तरह के अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग करता है लेकिन उससे कुछ नहीं होता है। तब अंत में मेघनाद ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करता है। तब हनुमानजी ने मन में विचार किया कि यदि ब्रह्मास्त्र को नहीं मानता हूं तो उसकी अपार महिमा मिट जाएगी। तब हनुमानजी मेघनाद के ब्रह्मास्त्र का सम्मान रखकर वृक्ष से गिर पड़ते हैं। फिर मेघनाद उन्हें नागपाश में बांधकर रावण की सभा में ले जाता है।
 
 
1. पहला कारण : वहां हनुमानजी हाथ जोड़कर रावण को समझाते हैं कि तू जो कर रहा है, वह सही नहीं है। प्रभु श्रीराम की शरण में आ जा। हर तरह से हनुमानजी रावण को शिक्षा देते हैं लेकिन रावण कहता है- रे दुष्ट! तेरी मृत्यु निकट आ गई है। अधम! मुझे शिक्षा देने चला है। हनुमानजी ने कहा- इससे उलटा ही होगा। यह तेरा मतिभ्रम है, मैंने प्रत्यक्ष जान लिया है।

 
यह सुनकर रावण और कुपित हो जाता है और कहता है- मैं सबको समझाकर कहता हूं कि बंदर की ममता पूंछ पर होती है अत: तेल में कपड़ा डुबोकर इसकी पूंछ में बांधकर फिर आग लगा दो। जब बिना पूंछ का यह बंदर वहां जाएगा, तब यह मूर्ख अपने मालिक को साथ ले आएगा। जिनकी इसने बहुत बड़ाई की है, मैं जरा उनकी प्रभुता तो देखूं!

 
तब हनुमानजी को पकड़कर सभी राक्षस उनकी पूंछ को कपड़े से लपेटने लगते हैं। हनुमानजी अपनी पूंछ को बढ़ाना प्रारंभ करते हैं तो सभी देखते रह जाते हैं। पूंछ के लपेटने में इतना कपड़ा और घी-तेल लगा कि नगर में कपड़ा, घी और तेल ही नहीं रह गया। हनुमानजी ने ऐसा खेल किया कि पूंछ बढ़ गई। नगरवासी लोग तमाशा देखने आए। वे हनुमानजी को पैर से ठोकर मारते हैं और उनकी हंसी करते हैं।

 
अंत में उनकी पूंछ में आग दी गई तब बंधन से निकलकर हनुमानजी सोने की अटारियों पर जा चढ़े। उनको देखकर राक्षसों की स्त्रियां भयभीत हो गईं। उस समय भगवान की प्रेरणा से उनचासों पवन चलने लगे। हनुमानजी अट्टहास करके गरजे और बढ़कर आकाश से जा लगे। तब वे अपनी जलती हुई पूंछ से दौड़कर एक महल से दूसरे महल पर चढ़कर उनमें आग लगाने लगे। देखते ही देखते नगर जलने लगता है और चारों ओर अफरा-तफरी व चीख-पुकार मच जाती है।

 
दूसरा कारण : पुराणों में लंकादहन के पीछे भी एक ओर रोचक बात जुड़ी है। दरअसल, हनुमानजी शिव अवतार हैं। शिव से ही जुड़ा है यह रोचक प्रसंग। एक बार माता पार्वती की इच्छा पर शिव ने कुबेर से सोने का सुंदर महल का निर्माण करवाया किंतु रावण इस महल की सुंदरता पर मोहित हो गया और वह ब्राह्मण का वेश रखकर शिव के पास गया। उसने महल में प्रवेश के लिए शिव-पार्वती से पूजा कराकर दक्षिणा के रूप में वह महल ही मांग लिया। भक्त को पहचान शिव ने प्रसन्न होकर वह महल दान में दे दिया।

 
दान में महल प्राप्त करने के बाद रावण के मन में विचार आया कि यह महल असल में माता पार्वती के कहने पर बनाया गया इसलिए उनकी सहमति के बिना यह शुभ नहीं होगा। तब उसने शिवजी से माता पार्वती को भी मांग लिया और भोले-भंडारी शिव ने इसे भी स्वीकार कर लिया। जब रावण उस सोने के महल सहित मां पार्वती को ले जाना लगा तब अचंभित और दु:खी माता पार्वती ने विष्णु का स्मरण किया और उन्होंने आकर माता की रक्षा की।

 
जब माता पार्वती अप्रसन्न हो गईं, तो शिव ने अपनी गलती को मानते हुए मां पार्वती को वचन दिया कि त्रेतायुग में मैं वानर रूप में हनुमान का अवतार लूंगा, उस समय तुम मेरी पूंछ बन जाना। जब मैं माता सीता की खोज में इसी सोने के महल यानी लंका जाऊंगा तो तुम पूंछ के रूप में लंका को आग लगाकर रावण को दंडित करना। यही प्रसंग भी शिव के श्री हनुमान अवतार और लंकादहन का एक कारण माना जाता है।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

क्या गया जी श्राद्ध से होती है मोक्ष की प्राप्ति !

Budh asta 2024: बुध अस्त, इन राशियों के जातकों के लिए आने वाली है मुसीबत, कर लें ये उपाय

Weekly Horoscope: इस हफ्ते किसे मिलेगा भाग्य का साथ, जानें साप्ताहिक राशिफल (मेष से मीन राशि तक)

श्राद्ध पक्ष कब से प्रारंभ हो रहे हैं और कब है सर्वपितृ अमावस्या?

Shani gochar 2025: शनि के कुंभ राशि से निकलते ही इन 4 राशियों को परेशानियों से मिलेगा छुटकारा

सभी देखें

धर्म संसार

Shardiya navratri 2024: शारदीय नवरात्रि प्रतिपदा के दिन जानिए घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

20 सितंबर 2024 : आपका जन्मदिन

20 सितंबर 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

16 shradh paksha 2024: पितृ पक्ष का चौथा दिन : जानिए तृतीया श्राद्ध तिथि का महत्व और इस दिन क्या करें

Indira ekadashi 2024: इंदिरा एकादशी व्रत का महत्व एवं पारण का समय क्या है?

अगला लेख
More