रामनवमी पर इस बार पुष्य नक्षत्र योग होने का संयोग बना है। भगवान राम का जन्म पुष्य नक्षत्र में ही हुआ था।
यह योग चैत्र नवरात्र के आठवें दिन शनिवार 13 अप्रैल को बन रहा है इसलिए अष्टमी व नवमी का पर्व एक साथ मनाया जाएगा। अष्टमी के दिन ही सुबह 8.19 बजे नवमी तिथि प्रारंभ होगी जो अगले दिन सुबह 6.04 बजे तक रहेगी।
भगवान राम का जन्म दोपहर 12 बजे हुआ था इसलिए पंडितों ने इसी दिन रामनवमी मनाया जाना शास्त्र सम्मत बताया है।
अगले दिन 14 अप्रैल को नवमी तिथि दोपहर 12 बजे जन्मोत्सव के समय नहीं रहेगा। वैसे बहुत से लोग नवमी 14 अप्रैल को नौ दिन के पाठ व
व्रत पूरे होने पर मनाएंगे।
शुभ कार्यों के साथ ही यह दिन भूमि, भवन, वाहन व ज्वेलरी आदि खरीदने के लिए सर्वाधिक श्रेष्ठ दिन रहेगा। इस दिन की गई खरीद-फरोख्त समृद्धिदायी रहेगी क्योंकि पुष्य नक्षत्र समेत कई अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेंगे।
नवरात्र इस बार आठ दिन के होंगे। 13 अप्रैल शनिवार को अष्टमी तिथि सुबह 8.18 बजे तक रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि शुरू होगी जो अगले दिन सुबह 6.04 बजे तक रहेगी।
अष्टमी व नवमी की पूजा एक साथ होगी और राम नवमी भी इसी दिन मनाया जाना उचित रहेगा। वजह है नवमी तिथि व पुष्य नक्षत्र योग एक साथ होना। हालांकि अगले दिन 14 अप्रैल को भी बहुत से लोग दुर्गा सप्तशती पाठ व नौ दिनी व्रत पूरे होने पर नवमी पूजा करेंगे। 13 अप्रैल को ही राम नवमी मनाया शास्त्र सम्मत रहेगा। जवारे विसर्जन नवमी व दशमी तिथि पर किए जा सकेंगे।