नई दिल्ली। कांग्रेस (Congress) के आनंद शर्मा (Anand Sharma) ने आज आरोप लगाया कि नोटबंदी और जटिल वस्तु एवं सेवा कर (GST) के कारण लोगों का विश्वास टूटा है तथा निजी क्षेत्र नया निवेश नहीं करना चाहता जिसके कारण देश की अर्थव्यवस्था गंभीर दौर से गुजर रही है।
शर्मा ने राज्यसभा (Rajya Sabha) में देश की आर्थिक स्थिति पर अल्पकालिक चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है और प्रगति ठहर गई है, मांग गिर रही है और बाजार टूट रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों के पास पैसा नहीं है और गांवों की स्थिति तो और खराब है। किसान त्राहि-त्राहि कर रहे हैं।
पिछले 5 साल के दौरान देश के एक प्रतिशत अमीर लोगों का धन 40 प्रतिशत से बढ़कर 60 प्रतिशत हो गया है। कॉर्पोरेट क्षेत्र के कर की राशि को 35 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया है जबकि इस क्षेत्र के पास सबसे अधिक गैर-निष्पादित परिसम्पत्ति है।
उन्होंने कहा कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था निजी निवेश, कारखानों में उत्पादन तथा निर्यात के आधार पर चलती है। लेकिन ये सभी नीचे जा रहे हैं।
सकल घरेलू उत्पाद 5 प्रतिशत से नीचे है। निवेश दर वर्ष 2012 में 36.4 था जिसमें 7 प्रतिशत की कमी आई है। कारखानों का उत्पादन 4.3 प्रतिशत कम हो गया है। कारखानों, ऑटो और कपड़ा क्षेत्र में मंदी से 25 लाख लोग बेरोजगार हो गए हैं।
शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, बेरोजगारी दर 8.5 प्रतिशत है जो पहले 3 प्रतिशत होती थी। यात्री वाहनों का उत्पादन इस वर्ष 24 प्रतिशत और वाणिज्यिक वाहनों का 62 प्रतिशत कम हुआ है। निजी क्षेत्र नया निवेश न कर पुराने कर्जे चुकाने में लगा है और सरकार के पास निवेश के लिए पैसे नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि पहले घरेलू बचत दर 34.6 प्रतिशत थी जो अब घटकर 30 प्रतिशत पर आ गई है। असंगठित क्षेत्र का जीडीपी में योगदान 40 प्रतिशत था जो बुरी तरह प्रभावित हुआ है। देश का बजट घट-बढ़ रहा है और पिछले साल के 1.76 लाख करोड़ रुपए के घाटे को रिजर्व बैंक के आरक्षित कोष से राशि निकालकर पूरा किया किया गया है। लाभ में चल रहे सरकारी उपक्रमों को बेचा जा रहा है।
शर्मा ने कहा कि कृषि और संबंधित क्षेत्रों की विकास दर पहले 4 प्रतिशत होती थी जो अब घटकर 2 प्रतिशत हो गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनाव घोषणा-पत्र में 5 साल के दौरान कृषि क्षेत्र में 25 लाख करोड़ रुपए के निवेश का वादा किया था, लेकिन इस वर्ष के बजट में बहुत कम राशि का प्रावधान है।
उन्होंने मनरेगा के तहत एक साल में कम से कम मजदूरों को 150 दिन काम देने और मजदूरी दर 400 रुपए प्रतिदिन करने की मांग की। उन्होंने कहा कि गांवों में पैसा जायेगा तो मांग बढ़ेगी और इससे उत्पादन शुरू होगा।
शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, बेरोजगारी दर 8.5 प्रतिशत है जो पहले 3 प्रतिशत होती थी। यात्री वाहनों का उत्पादन इस वर्ष 24 प्रतिशत और वाणिज्यिक वाहनों का 62 प्रतिशत कम हुआ है। निजी क्षेत्र नया निवेश न कर पुराने कर्जे चुकाने में लगा है और सरकार के पास निवेश के लिए पैसे नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि पहले घरेलू बचत दर 34.6 प्रतिशत थी जो अब घटकर 30 प्रतिशत पर आ गई है। असंगठित क्षेत्र का जीडीपी में योगदान 40 प्रतिशत था जो बुरी तरह प्रभावित हुआ है। देश का बजट घट-बढ़ रहा है और पिछले साल के 1.76 लाख करोड़ रुपए के घाटे को रिजर्व बैंक के आरक्षित कोष से राशि निकालकर पूरा किया किया गया है। लाभ में चल रहे सरकारी उपक्रमों को बेचा जा रहा है।
शर्मा ने कहा कि कृषि और संबंधित क्षेत्रों की विकास दर पहले 4 प्रतिशत होती थी जो अब घटकर 2 प्रतिशत हो गया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा-पत्र में 5 साल के दौरान कृषि क्षेत्र में 25 लाख करोड़ रुपए के निवेश का वादा किया था, लेकिन इस वर्ष के बजट में बहुत कम राशि का प्रावधान है।
उन्होंने मनरेगा के तहत एक साल में कम से कम मजदूरों को 150 दिन काम देने और मजदूरी दर 400 रुपए प्रतिदिन करने की मांग की। उन्होंने कहा कि गांवों में पैसा जाएगा तो मांग बढ़ेगी और इससे उत्पादन शुरू होगा।
भाजपा के अश्विनी वैष्णव ने कहा कि देश में चक्रीय मंदी है और कोयला तथा कई अन्य घोटालों के बाद वर्ष 2012-13 से मंदी का दौर शुरू हुआ। ऋण माफी, मनरेगा आदि ने अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है।
मुक्त व्यपार समझौते से भी देश को नुकसान हुआ है। सरकार ने आसियान देशों के साथ किए जाने वाले क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग समझौता देशहित में नहीं किया।
उन्होंने कहा कि सरकार ने लोगों को बैंकों से जोड़ने के लिए जन-धन योजना शुरू की है और इसके तहत 37 करोड़ बैंक खाते खुल गए हैं।
गरीबों को उद्योग लगाने के लिए मुद्रा योजना के तहत 10 लाख रुपए तक का ऋण दिया जा रहा है। जगह-जगह ऋण मेला लगाया जा रहा है।
सड़क और बिजली पर सरकार विशेष ध्यान दे रही है और अब राजमार्गों की ओर भी कदम उठाए जा रहे हैं। गांवों में कच्चे मकानों को पक्का किया जा रहा है तथा किसानों को उनके उत्पादों का लाभकारी मूल्य दिया जा रहा है जिससे गांवों की अर्थव्यवस्था अच्छी होगी। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ' ब्रायन ने कहा कि सरकार पर से व्यापारी, उद्योग और युवाओं का विश्वास उठ गया है।
उद्योग बंद होने से लोग बेरोजगार हो गए हैं। किसान, घरेलू महिलायें और छोटे व्यवसायी नोटबंदी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। प्याज की कीमत पिछले साल की तुलना में लगभग दोगुनी हो गई है और मूल्यवृद्धि से लोग परेशान हैं। (भाषा)