बिना मानसिक दृढ़ता के ओलंपिक पदक लाना मुश्किल, जानिए क्या कहते हैं खेल मनौवैज्ञानिक?
चुनौतियों का डटकर सामना करने और मानसिक दृढ़ता वाला खिलाड़ी जीतेगा पदक: मनोवैज्ञानिक
पेरिस ओलंपिक में मानव कौशल का उत्कृष्ट नमूना देखने को मिलेगा लेकिन खेल मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि भारत के 117 खिलाड़ियों सहित इस खेल महाकुंभ में भाग ले रहे 10500 खिलाड़ियों में से कड़ी चुनौतियों का डटकर सामना करने और मानसिक दृढ़ता वाला खिलाड़ी ही पदक जीतने में सफल रहेगा।
खिलाड़ियों को हालांकि सफलता और असफलता से निपटना सिखाया जाता है लेकिन ओलंपिक जैसी प्रतियोगिताओं में दबाव काफी होता है।
फोर्टिस हेल्थकेयर की खेल मनोवैज्ञानिक डॉ. दिव्या जैन ने कहा,खेलों में पहले ही बहुत अधिक दबाव होता है और जब आप ओलंपिक में भाग लेते हैं, तो आपको बहुत से उतार-चढ़ावों से गुजरना पड़ता है।
उन्होंने कहा,खेलों में आपको हर दिन जीत और हार का सामना करना पड़ता है इसलिए यह हमेशा जीत हासिल करने से नहीं जुड़ा है। यह इससे जुड़ा है कि आप कितनी जल्दी वापसी करते हैं।
जैन ने कहा,खिलाड़ियों पर अपेक्षाओं का दबाव होता है, उन्हें अपने परिवार से दूर रहना पड़ता है और वह खेलों को लेकर चल रही चर्चाओं के केंद्र में होते हैं। एक खिलाड़ी को इन सभी पहलुओं से मनोवैज्ञानिक स्तर पर निपटना पड़ता है।
खिलाड़ी अगले कुछ सप्ताह में अपनी फॉर्म के चरम पर रहने का प्रयास करेंगे और इसके लिए उन्हें शारीरिक और मानसिक तौर पर तैयार किया जाता है लेकिन पदक वही खिलाड़ी जीतेंगे जो बाकी लोगों की तुलना में थोड़े अधिक दृढ़ और अपने लक्ष्य को लेकर केंद्रित होंगे।
खेल मनोवैज्ञानिक और भारतीय खेल मनोवैज्ञानिक संघ की अध्यक्ष कीर्तना स्वामीनाथन ने कहा,परिवार, दोस्तों और घर से दूर रहना खिलाड़ियों के जीवन का हिस्सा है लेकिन ओलंपिक में सभी की निगाहें आप पर टिकी रहती हैं और इससे तनाव और चिंता बढ़ सकती है।
उन्होंने कहा, ओलंपिक में भाग ले रहे खिलाड़ियों को लंबी यात्राएं करनी पड़ती हैं और वह अपने परिवार और दोस्तों से लंबे समय तक दूर रहते हैं जिससे वह अलग थलग पड़ सकते हैं। इसका मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है और ऐसे में उपयुक्त सहायता प्रणाली और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े संसाधनों तक पहुंच महत्वपूर्ण हो जाती है।
पेरिस ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों की मदद के लिए एक विशेष चिकित्सा दल भी टीम के साथ जा रहा है जिसमें नियमित चिकित्सा कर्मियों के अलावा मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े चिकित्सक भी शामिल हैं।
खेल और प्रदर्शन मनोवैज्ञानिक डॉ. नानकी जे चड्ढा ने कहा,अपने देश का प्रतिनिधित्व करना और उसके लिए प्रतिस्पर्धा करना ज़िम्मेदारी और गर्व की गहरी भावना पैदा कर सकता है, लेकिन इससे दबाव बढ़ जाता है जिससे निपटना जरूरी होता है। (भाषा)