Nowroz 2020 : पारसी नववर्ष 'नवरोज', जानिए क्या कहता है इतिहास

Webdunia
Navroz Festival 2020
प्रतिवर्ष 21 मार्च को पारसी नववर्ष 'नवरोज' मनाया जाता है। असल में पारसियों का केवल एक पंथ-फासली-ही नववर्ष मानता है, मगर सभी पारसी इस त्योहार में सम्मिलित होकर इसे बड़े उल्लास से मनाते हैं, एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और अग्नि मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं। नवरोज को ईरान में ऐदे-नवरोज कहते हैं। 
 
शाह जमशेदजी ने पारसी धर्म में नवरोज मनाने की शुरुआत की। नव अर्थात् नया और रोज यानि दिन। पारसी धर्मावलंबियों के लिए इस दिन का विशेष महत्‍व है। नवरोज के दिन पारसी परिवारों में बच्‍चे, बड़े सभी सुबह जल्‍दी तैयार होकर, नए साल के स्‍वागत की तैयारियों में लग जाते हैं। 
 
इस दिन पारसी लोग अपने घर की सी़ढ़ियों पर रंगोली सजाते हैं। चंदन की लकडियों से घर को महकाया जाता है। यह सबकुछ सिर्फ नए साल के स्‍वागत में ही नहीं, बल्कि हवा को शुद्ध करने के उद्देश्‍य से भी किया जाता है।


इस दिन पारसी मंदिर अगियारी में विशेष प्रार्थनाएं संपन्‍न होती हैं। इन प्रार्थनाओं में बीते वर्ष की सभी उपलब्धियों के लिए ईश्‍वर के प्रति आभार व्‍यक्‍त किया जाता है। मंदिर में प्रार्थना का सत्र समाप्‍त होने के बाद समुदाय के सभी लोग एक-दूसरे को नववर्ष की बधाई देते हैं।

 
हालांकि पारसी समुदाय के लोगों की जीवन-शैली में आधुनिकता और पाश्‍चात्‍य संस्‍कृति का प्रभाव स्‍पष्‍टतया देखा जा सकता है। लेकिन पारसी समाज में आज भी त्‍योहार उतने ही पारंपरिक तरीके से मनाए जाते हैं, जैसे कि वर्षों पहले मनाए जाते थे। 
 
यूं तो भारत के हर त्‍योहार में घर सजाने से लेकर, मंदिरों में पूजा-पाठ करना और लोगों का एक-दूसरे को बधाई देना शामिल है। जो बात इस पारसी नववर्ष को खास बनाती है, वह यह कि ‘नवरोज’समानता की पैरवी करता है। इंसानियत के धरातल पर देखा जाए तो नवरोज की सारी परंपराएं महिलाएं और पुरुष मिलकर निभाते हैं। त्‍योहार की तैयारियां करने से लेकर त्‍योहार की खुशियां मनाने में दोनों एक-दूसरे के पूरक बने रहते हैं।
 
नवरोज के दिन घर में मेहमानों के आने-जाने और बधाइयों का सिलसिला चलता रहता है। इस दिन पारसी घरों में सुबह के नाश्‍ते में ‘रावो’नामक व्‍यंजन बनाया जाता है। इसे सूजी, दूध और शक्‍कर मिलाकर तैयार किया जाता है। 
 
नवरोज के दिन घर आने वाले मेहमानों पर गुलाब जल छिड़ककर उनका स्‍वागत किया जाता है। बाद में उन्‍हें नए वर्ष की लजीज शुरुआत के लिए ‘फालूदा’ खिलाया जाता है। ‘फालूदा’ सेंवइयों से तैयार किया गया एक मीठा व्‍यंजन होता है। नवरोज के दिन पारसी परिवारों में विभिन्‍न शाकहारी और मांसाहारी व्‍यंजनों के साथ मूंग की दाल और चावल अनिवार्य रूप से बनाए जाते हैं। विभिन्‍न स्‍वादिष्‍ट पकवानों के बीच मूंग की दाल और चावल उस सादगी का प्रतीक है, जिसे पारसी समुदाय के लोग जीवनपर्यंत अपनाते हैं। 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

कब से लग रहा है खरमास, क्या है इस मास का महत्व और जानिए अचूक उपाय

इस बार होलाष्टक कब से कब तक रहेगा, क्या करें और क्या नहीं?

कब है साल का पहला चंद्र ग्रहण? जानिए सूतककाल का समय

Holashtak 2025: होलाष्टक में रखें ये 8 सावधानियां

होली पर 8 दीपक जलाकर जीवन को महका और चमका देंगे, धन की समस्या होगी समाप्त

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: आज किन राशियों को मिलेगी कार्य में सफलता, पढ़ें 07 मार्च का दैनिक राशिफल

07 मार्च 2025 : आपका जन्मदिन

07 मार्च 2025, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

औरंगजेब ने कितने और कौन कौन से हिंदू मंदिर तुड़वाए थे?

वास्‍तु के संग, रंगों की भूमिका हमारे जीवन में

अगला लेख
More