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Vamana Jayanti 2025: वामन जयंती कब है, जानें मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और महत्व

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WD Feature Desk

, बुधवार, 3 सितम्बर 2025 (10:11 IST)
2025 Vamana Jayanti: वामन जयंती प्रतिवर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। यह भगवान विष्णु के पांचवें अवतार, वामन देव, को समर्पित है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने बौने ब्राह्मण 'वामन' का रूप धारण कर असुर राजा बलि का अहंकार तोड़ा था और उनसे तीन पग भूमि दान में मांगी थी।ALSO READ: Parivartini Ekadashi 2025 | परिवर्तिनी एकादशी व्रत कब है?

यह दिन भगवान वामन की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है और इसे कई जगहों पर ओणम त्योहार के साथ भी मनाया जाता है। भगवान वामन को विक्रम, त्रिविक्रम, उपेन्द्र, आदित्य, काश्यप, अदितिनंदन तथा वामनदेव आदि नामों से भी जानते हैं।
 
आइए जानते हैं 2025 में वामन जयंती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी:
 
वामन जयंती 2025 कब है? इस वर्ष वामन जयंती 4 सितंबर 2025, गुरुवार को मनाई जाएगी। यह पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है।
 
वामन जयंती बृहस्पतिवार, 4 सितंबर 2025 के शुभ मुहूर्त
 
भाद्रपद शुक्ल द्वादशी तिथि का प्रारंभ: 4 सितंबर 2025 को सुबह 04:21 बजे
द्वादशी तिथि की समाप्ति: 5 सितंबर 2025 को सुबह 04:08 बजे
 
श्रवण नक्षत्र का प्रारंभ: 4 सितंबर 2025 को रात 11:44 बजे
श्रवण नक्षत्र की समाप्ति: 5 सितंबर 2025 को रात 11:38 बजे
 
वामन जयंती का महत्व : वामन जयंती का पर्व अहंकार के त्याग और भक्ति की जीत का प्रतीक है। वामन द्वादशी का व्रत रखने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। भगवान वामन ने राजा बलि के अहंकार को चूर कर उनका उद्धार किया था। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान वामन की पूजा करने से भक्तों को सभी पापों और कष्टों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह पर्व भगवान विष्णु के प्रति समर्पण और उनकी कृपा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।ALSO READ: Ganesh chaturthi 2025: गणेश विसर्जन कितने दिनों में कहां कब होता है?
 
वामन द्वादशी पूजा विधि: 
 
सुबह स्नान करें: वामन जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
 
व्रत का संकल्प लें: पूजा से पहले व्रत का संकल्प लें।
 
वामन देव की प्रतिमा स्थापित करें: एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु के वामन अवतार की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
 
पंचामृत से स्नान: भगवान वामन को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल का मिश्रण) से स्नान कराएं।
 
सामग्री अर्पित करें: उन्हें रोली, मौली, पीले फूल, तुलसी, और नैवेद्य अर्पित करें।
 
भोग लगाएं: भगवान को दही और मिश्री का भोग जरूर लगाएं।
 
मंत्र जाप और कथा श्रवण: पूजा के दौरान भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और वामन अवतार की कथा सुनें।
 
दान करें: पूजा के बाद चावल, दही और अन्य वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है।
 
मंत्र : वामन जयंती पर भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जाप करना अत्यंत फलदायी होता है:
 
- ॐ तप रूपाय विद्महे श्रृष्टिकर्ताय धीमहि तन्नो वामन प्रचोदयात्।
 
- ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात् ।।
 
- नमस्ते पदमनाभाय नमस्ते जलः शायिने तुभ्यमर्च्य प्रयच्छामि वाल यामन अप्रिणे।। 
 
-ॐ नमो भगवते वामनाय।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: सितंबर माह 2025 में कब कब है एकादशी?
 

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