Navratri

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(सप्तमी तिथि)
  • तिथि- आश्विन शुक्ल सप्तमी
  • शुभ समय- 6:00 से 7:30 तक, 9:00 से 10:30 तक, 3:31 से 6:41 तक
  • जयंती/त्योहार/व्रत/मुहूर्त-भद्रा/मूल समाप्त
  • राहुकाल-प्रात: 7:30 से 9:00 बजे तक
webdunia

Durga Ashtami 2025: शारदीय नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी कब है, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कन्या पूजन का महत्व

Advertiesment
हमें फॉलो करें शारदीय नवरात्रि 2025

WD feature desk

, बुधवार, 10 सितम्बर 2025 (10:51 IST)
Navratri Durga Ashtami 2025: दुर्गा अष्टमी 2025 कब है? जानिए शारदीय नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी की सही तारीख, हवन का शुभ मुहूर्त, कन्या पूजन विधि और इसका धार्मिक महत्व। इस बार यह त्योहार 22 सितंबर सोमवार से प्रारंभ होकर 01 अक्ट़बर 2025 बुधवार को समाप्त होगा। यानी 10 दिनों का यह पर्व रहेगा। 22 सितंबर को कलश और घट स्थापना होगी और 30 सितंबर को दुर्ग अष्टमी दुर्गाष्टमी यानी महाष्टमी रहेगी।
 
दुर्गा अष्टमी 2025 की तिथि और समय:-
अष्टमी तिथि का प्रारंभ: 29 सितंबर 2025, शाम 04:32 बजे।
अष्टमी तिथि की समाप्ति: 30 सितंबर 2025, शाम 06:06 बजे।
 
दुर्गा अष्टमी 2025 पूजा के लिए शुभ मुहूर्त:-
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:47 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:10 बजे से दोपहर 02:58 बजे तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम को 06:08 से शाम को 06:32 बजे तक।
संधि पूजा का समय: शाम 05:42 बजे से शाम 06:30 बजे तक।
निशिथ मुहूर्त: मध्यरात्रि 11:47 से 12:35 तक। 
webdunia
दुर्गा अष्टमी पर कन्या पूजन का महत्व:
जब नवरात्रि में व्रत का समापन होता है तब पूजन, हवन के साथ ही व्रत का उद्यापन किया जाता है। उद्यापन के दौरान ही कन्या पूजन और कन्या भोज का आयोजन होता है। इसके बाद ही मूर्ति और जवारे का विसर्जन होता है। किसी के यहां पंचमी, षष्ठमी, सप्तमी या किसी के यहां पर अष्टमी या नवमी के दिन व्रत का समापन होकर उद्यापन होता है। उस दिन कन्या पूजन और भोज होता है।
 
कुमारी पूजा में ये बालिकाएं देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों को दर्शाती हैं- कुमारिका, त्रिमूर्ति, कल्याणी, रोहिणी, काली, चंडिका, शनभावी, दुर्गा और भद्रा। कन्याओं की आयु 10 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। साल की कन्या कुमारी को पूजने से धन, 3 साल की त्रिमूर्ति को पूजने से धान्य, 4 साल की कल्याणी को पूजने से सुख, 5 साल की रोहिणी को पूजने से सफलता, 6 साल की कालिका को पूजने से यश, 7 साल की चंडिका को पूजने से समृद्धि, 8 साल की शांभवी को पूजने से पराक्रम, 9 साल की दुर्गा को पूजने से वैभव और 10 साल की कन्या सुभद्रा को पूजने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। 
 
दुर्गा अष्टमी पूजा विधि:-
  • महा अष्टमी के दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है।
  • महाष्टमी के दिन स्नान के बाद मां दुर्गा का षोडशोपचार पूजन करें।
  • महाष्टमी के दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है इसलिए इस दिन मिट्टी के नौ कलश रखे जाते हैं और देवी दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान कर उनका आह्वान किया जाता है।
  • अष्टमी के दिन कुल देवी की पूजा के साथ ही मां काली, दक्षिण काली, भद्रकाली और महाकाली की भी आराधना की जाती है।
  • अष्टमी माता को नारियल का भोग लगा सकते हैं, लेकिन इस दिन नारियल खाना निषेध है, क्योंकि इसके खाने से बुद्धि का नाश होता है। 
  • माता महागौरी अन्नपूर्णा का रूप हैं। इस दिन माता अन्नपूर्णा की भी पूजा होती है इसलिए अष्टमी के दिन कन्या भोज और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।
  • 1. खीर, 2. मालपुए, 3. मीठा हलुआ, 4. पूरणपोळी, 5. केले, 6. नारियल, 7. मिष्ठान्न, 8. घेवर, 9. घी-शहद और 10. तिल और गुड़ माता को अर्पित करें। 
  • यदि अष्टमी को पारणा कर रहे हैं तो विविध प्रकार से महागौरी का पूजन कर भजन, कीर्तन, नृत्यादि उत्सव मनाना चाहिए।
  • विविध प्रकार से पूजा-हवन कर 9 कन्याओं को भोजन खिलाना चाहिए। 
  • हलुआ आदि प्रसाद वितरित करना चाहिए।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Shradh paksh 2025: श्राद्ध के 15 दिनों में करें ये काम, पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति