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30 जुलाई 2021, शुक्रवार को श्रावण मास का शीतला सप्तमी व्रत, पढ़ें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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हर माह की सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी व्रत किया जाता है। इस बार 30 जुलाई को श्रावण महीने के कृष्ण पक्ष की शीतला सप्तमी पर्व मनाया जा रहा है। इस व्रत से शीतला जनित बीमारियों से छुटकारा मिलता है। राजस्थान में इसे बसोड़ा भी कहते हैं। इस पूजन में शीतल जल और बासी भोजन का भोग लगाने का विधान है। श्रद्धालु शीतला सप्तमी व्रत रखकर माता की भक्ति करके अपने परिवार की रक्षा करने के लिए माता से प्रार्थना करते हैं। 
 
महत्व एवं पूजन- माना जाता है कि शीतला माता भगवती दुर्गा का ही रूप है। भारतीय उपासना पद्धति जहां मनुष्य को आध्यात्मिक रूप से मजबूत करती है वहीं शारीरिक और मानसिक रोगों को दूर करने का भी इसका उद्देश्य होता है। ऐसी मान्यता है कि शीतला सप्तमी का व्रत रखने से छोटी माता का प्रकोप नहीं होता। शीतला सप्तमी और शीतलाष्टमी व्रत मनुष्य को चेचक के रोगों से बचाने का प्राचीन काल से चला आ रहा व्रत है। आयुर्वेद की भाषा में चेचक का ही नाम शीतला कहा गया है। 
 
अतः इस दिन शीतला माता की उपासना से शारीरिक शुद्ध, मानसिक पवित्रता और खान-पान की सावधानियों का संदेश मिलता है। इस व्रत में भगवती माता का पूजन किया जाता है तथा प्रार्थना की जाती है कि- चेचक, गलघोंटू, बड़ी माता, छोटी माता, तीव्र दाह, दुर्गंधयुक्त फोड़े, नेत्र रोग और शीतल जनित सभी प्रकार के दोष शीतला माता की आराधना, पूजा से दूर हो जाएं। 
 
इस दिन शीतला स्त्रोत का पाठ शीतल जनित व्याधि से पीड़ितों के लिए हितकारी है। स्त्रोत में भी स्पष्ट उल्लेख है कि शीतला दिगंबर है, गर्दभ पर आरूढ है, शूप, मार्जनी और नीम पत्तों से अलंकृत है। इस अवसर पर शीतला मां का पाठ करके निरोग रहने के लिए प्रार्थना की जाती है।
 
इस मंत्र से कीजिए पूजा होगा बीमारी का अंत-
'वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बरराम्‌, मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम्‌।'
इस मंत्र के जप से करें मां शीतला की आराधना- 'ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नम:'
 
शीतला सप्तमी पूजन मुहूर्त- 
 
अभिजीत मुहूर्त- 30 जुलाई 2021, शुक्रवार को सुबह 11:59 से दोपहर 12:52 तक।
विजय मुहूर्त- 30 जुलाई दोपहर 02:44 मिनट से दोपहर 03:38 तक। 
गोधुली मुहूर्त 30 जुलाई शाम 07:09 मिनट से शाम 07:27 मिनट तक। 
 
कैसे करें व्रत-
 
* शीतला सप्तमी के दिन व्रती को प्रातःकालीन कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करना चाहिए।
 
* स्नान के पश्चात निम्न मंत्र से संकल्प लेना चाहिए -
 
'मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये'
 
* संकल्प के पश्चात विधि-विधान तथा सुगंधयुक्त गंध व पुष्प आदि से माता शीतला का पूजन करें।
 
* माता शीतला को जल अर्पित करें और उसकी कुछ बूंदे अपने ऊपर भी डालें। जो जल चढ़ाएं और चढ़ाने के बाद जो जल बहता है, उसमें से थोड़ा जल लोटे में डाल लें। यह जल पवित्र होता है। इसे घर के सभी सदस्य आंखों पर लगाएं। थोड़ा जल घर के हर हिस्से में छिड़कना चाहिए। इससे घर की शुद्धि होती है। 
 
* इसके पश्चात एक दिन पहले बनाए हुए (बासी) खाद्य पदार्थों, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात आदि का भोग लगाएं। ज्ञात हो कि शीतला सप्तमी के व्रत के दिन घरों में ताजा भोजन नहीं बनता है। अत: भक्त इस दिन एक दिन पहले बने भोजन को ही खाते हैं और उसी को मां शीतला को अर्पित करते हैं।
 
* तत्पश्चात शीतला स्तोत्र का पाठ करें और कथा सुनें।
 
* कथा पढ़ने के बाद माता शीतला को भी मीठे चावलों का भोग लगाएं।
 
* रोगों को दूर करने वाली मां शीतला का वास वट वृक्ष में माना जाता है, अतः इस दिन वट पूजन भी भी करना चाहिए।
 
कई स्थानों पर शीतला सप्तमी को लोग गुड़ और चावल का बने पकवान का भोग लगाते हैं। पूजा करने के बाद गुड़ और चावल का पकवान का वितरण करें। जिस घर में श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी व्रत का पालन किया जाता है, वहां घर में सुख, शांति बनी रहती है तथा रोगों से मुक्ति निजात भी मिलती है।

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