Chhath Puja 2024 Date Time: छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाये, मुहूर्त सहित जानिए क्या करते हैं इस दिन

WD Feature Desk
मंगलवार, 5 नवंबर 2024 (11:58 IST)
Nahay khay chhath puja 2023: कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को छठ पूजा का त्योहार रहता है। इस दिन सूर्य देव एवं छठी मैया की पूजा की जाती है। इस बार छठ पर्व 05 नवंबर से 08 नवंबर 2024 के मध्य मनाया जाएगा। चार दिन के इस पर्व में पहला दिन नहाय खाये, दूसरा दिन खरना, तीसरा धर्म सांध्य अर्घ्‍य चौथे दिन उषा अर्घ्य का कार्य किया जाता है। छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का प्रचलन और उन्हें अर्घ्य देने का विधान है। मान्यता अनुसार इस दिन निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हैं छठ मैया।ALSO READ: Chhath Puja 2024 Aarti : छठी महापर्व की आरती
 
05 नवंबर : नहाय खाये (चतुर्थी) 
06 नवंबर : खरना (पंचमी)
07 नवंबर : संध्या अर्घ्य (षष्ठी)
08 नवंबर : उषा अर्घ्‍य (सप्तमी)
 
1. नहाय खाये (पहला दिन) : पहले दिन नहाय खाये अर्थात साफ-सफाई और शुद्ध शाकाहारी भोजन सेवन का पालन किया जाता है। कार्तिक शुक्ल चतुर्थी अर्थात इसी दिन से छठ पर्व प्रारंभ हो जाता है। इस दिन से घर और शरीर को भीतर और बाहर से शुद्ध किया जाता है। किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन नहीं किया जाता है।
 
05 नवंबर : नहाय खाये (चतुर्थी):-
सूर्योदय : सुबह 06:36 पर।
सूर्यास्त : शाम 05:33 पर।
 
प्रातः सन्ध्या मुहूर्त : प्रात: 05:18 से 06:36 के बीच।
संध्या पूजा मुहूर्त : 05 नवंबर शाम 05:33 से 06:51 तक।
 
छठ पूजा नहाय खाय के दिन क्या होता है क्या है के नियम | Chhath Puja Nahaye Khaye Niyam:  
 
- पहले दिन नहाय खाय अर्थात घर, पूजाघर आदि की साफ-सफाई आदि करने के बाद अच्छे से स्नान करते हैं। इस दिन से घर और शरीर को भीतर और बाहर से शुद्ध किया जाता है। इस दिन स्नान करके नए कपड़े धारण करना चाहिए।
 
- इसके बाद शुद्ध शाकाहारी भोजन बनाकर उसका सेवन करते हैं। घर में लौकी या कद्दू की सब्जी बनती है। इस दिन भोजन में सेंधा नमक का उपयोग किया जाता है। सभी में शुद्धता का ध्यान रखा जाता है।
 
- इस दिन सिर्फ एक समय की अच्‍छे से भोजन करते हैं। शाम को फलाहार लेते हैं। किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन नहीं किया जाता है। 
 
- इस दिन नारंगी सिंदूर लगाने के बाद छठ का प्रासाद बनाना भी प्रारंभ किया जाता है। इसमें प्याज और लहसुन का उपयोग नहीं किया जाता है। 
 
- छठ मैया और सूर्यदेव को भोग लगाने के बाद ही भोजन ग्रहण किया जाता है। व्रती के प्रसाद को सभी सदस्य बांटकर खाते हैं।
 
- इसी दिन से अगले दिन खरना की तैयारी की जाती है।

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