26 दिसंबर से शाकंभरी नवरात्रि, होगी माता अन्नपूर्णा की साधना

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* शाकंभरी नवरात्रि : जानिए इस त्योहार का महत्व...
 
पौष माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक शाकंभरी नवरात्रि (Shakumbhri Navratri) मानी जाती है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार गुप्त नवरात्रि की भांति शाकंभरी नवरात्रि का भी बड़ा महत्व है। माता शाकंभरी देवी दुर्गा के अवतारों में एक हैं। 26 दिसंबर 2017, मंगलवार से शाकुम्भरी नवरात्रि मनाई जाएगी।
 
नवरात्रि के इन दिनों में पौराणिक कर्म किए जाते हैं, विशेषकर माता अन्नपूर्णा की साधना की जाती है। तंत्र-मंत्र के साधकों को अपनी सिद्धि के लिए खास माने जाने वाली शाकंभरी नवरात्रि के इन दिनों में साधक वनस्पति की देवी मां शाकंभरी की आराधना करेंगे।

मां शाकंभरी ने अपने शरीर से उत्पन्न शाक-सब्जियों, फल-मूल आदि से संसार का भरण-पोषण किया था। इसी कारण माता 'शाकंभरी' नाम से विख्यात हुईं।
 
तंत्र-मंत्र के जानकारों की नजर में इस नवरात्रि को तंत्र-मंत्र की साधना के लिए अतिउपयुक्त माना गया है। इस नवरात्रि का समापन 2 जनवरी, मंगलवार को पूर्णिमा के दिन होगा।
 
देवी दुर्गा का रूप हैं 'शाकंभरी', जिनकी हजार आंखें थीं इसलिए माता को 'शताक्षी' भी कहते हैं। पुराणों में यह उल्लेख है कि देवी ने यह अवतार तब लिया, जब दानवों के उत्पात से सृष्टि में अकाल पड़ गया। तब देवी शाकंभरी रूप में प्रकट हुईं। इस रूप में उनकी 1,000 आंखें थीं। जब उन्होंने अपने भक्तों का बहुत ही दयनीय रूप देखा तो लगातार 9 दिनों तक वे रोती रहीं। रोते समय उनकी आंखों से जो आंसू निकले उससे अकाल दूर हुआ और चारों ओर हरियाली छा गई।
 
शाकंभरी नवरात्रि का आरंभ पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से होता है, जो पौष पूर्णिमा पर समाप्त होता है। मान्यता है कि इस दिनों गरीबों को अन्न-शाक यानी कच्ची सब्जी, भाजी, फल व जल का दान करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है एवं मां उन पर प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

- आरके. 

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