अनंत चतुर्दशी 2021 : जानिए इस दिन का महत्व, 14 पौराणिक तथ्य

Webdunia
शनिवार, 18 सितम्बर 2021 (14:09 IST)
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी ( Anant Chaturdashi 2021 ) का व्रत रखा जाएगा। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष यह पर्व 19 सितंबर 2021 को रहेगा। आओ जानते हैं इस दिन का महत्व के साथ ही 14 पौराणिक तथ्य।
 
 
1. भगवान विष्णु की पूजा : अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान अनंत (विष्णु) की पूजा का विधान होता है। भगवान विष्णु के सेवक भगवान शेषनाग का नाम अनंत है। अग्नि पुराण में अनंत चतुर्दशी व्रत के महत्व का वर्णन मिलता है।
 
 
2. गणेश विसर्जन : गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की स्थापना की जाती है और अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। इसीलिए इस दिन का खासा महत्व है।
 
3. 14 लोकों की रचना : अनंत भगवान ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों की रचना की थी। ये 14 लोक निम्न है। 1. तल, 2. अतल, 3. वितल, 4. सुतल, 5. तलातल, 6. रसातल, 7. पाताल, 8. भू, 9. भुवः, 10. स्वः, 11. जन, 12. तप, 13. सत्य, 14. मह
 
4. भगवान् श्रीहरि विष्णु के चौदह नाम : 1. अनंत, 2. ऋषिकेश, 3. पद्मनाभ, 4. माधव, 5. वैकुंठ, 6. श्रीधर, 7. त्रिविक्रम, 8. मधुसुदन, 9. वामन, 10. केशव, 11. नारायण, 12. दामोदर, 13. गोविन्द, 14. श्रीहरि
 
5. श्रीकृष्‍ण ने बताया था इस व्रत का महत्व : पांडवों द्वारा जुए में अपना राजपाट हार जाने के बाद श्रीकृष्ण से पूछा था कि दोबारा राजपाट प्राप्त हो और इस कष्ट से छुटकारा मिले इसका उपाय बताएं तो श्रीकृष्‍ण ने उन्हें सपरिवार सहित अनंत चतुर्दशी का व्रत बताया था।
 
6. बाजू में बांधते हैं अनंत सूत्र : अनंत चतुर्दशी पर अनंत सूत्र बांधने का विशेष महत्व होता है। इस व्रत में भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा के बाद बाजू पर अनंत सूत्र बांधा जाता है।
 
7. 14 गांठ वाला रहता है अनंत सूत्र : इस दिन कच्चे धागे से बने 14 गांठ वाले धागे को बाजू में बांधने से भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है। इस धागे को बांधने की विधि और नियम का पुराणों में उल्लेख मिलता है। अनंत सूत्र (शुद्ध रेशम या कपास के सूत के धागे) को हल्दी में भिगोकर 14 गांठ लगाकर तैयार किया जाता है। इसे हाथ या गले में ध्यान करते हुए धारण किया जाता है। 
 
8. इस तरह करते हैं अनंत सूत्र की पूजा : अनंत चतुर्दशी का व्रत और अनंत सूत्र बनाने की विधि बताते हुए भगवान कृष्ण कहते हैं कि भाद्रपद की शुक्ल चतुर्दशी को कच्चे धागे में 14 गांठ लगाकर उसे कच्चे दूध में डूबोकर ॐ अनंताय नम: का मंत्र जपते हुए भगवान‍ विष्णु की विधिवत रूप से पूजा करना चाहिए।

इस अनंत सूत्र को पुरुषों को दाएं और महिलाओं को बाएं बाजू में बांधना चाहिए। आजकल बाजार में बने बनाएं अनंत सूत्र मिलते हैं जिनकी विधिवत पूजा करके बांधा जाता है। हर गांठ में श्री नारायण के विभिन्न नामों से पूजा की जाती है। पहले में अनंत, श्री अनंत भगवान का पहले में अनंत, उसके बाद ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, वैकुण्ठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविन्द की पूजा होती है।
 
9. 14 दिन तक रखते हैं बांधकर : इसे धारण करने के बाद 14 दिन तक तामसिक भोजन नहीं करते हैं और ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं तभी इसका लाभ मिलता है।
 
10. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ : मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान आदि की कामना से यह व्रत किया जाता है।
 
11. सुनते हैं भगवान वामन की कथा : भारत के कई राज्यों में इस व्रत का प्रचलन है। इस दिन भगवान विष्णु की लोक कथाएं सुनी जाती है। खासकर भगवान अनंत और वामन की कथा सुनते हैं।
 
12. संतान सुख हेतु रखते हैं व्रत : धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान आदि की कामना से यह व्रत किया जाता है। 
13. कौडिल्य ऋषि ने किया था अनंत सूत्र का अपमान : कहते हैं कि कौडिल्य ऋषि ने इस धागे को अपनी पत्नी की बाजू में बंधा देखा तो इसे जादू टोना मानकर उनके बाजू से निकालकर इसे फेंक दिया था। इसके बाद ऋषि को भारी दु:खों का सामना करना पड़ा था। पश्चाताप करने के बाद श्रीहरि विष्णु ने ही उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने की सलाह दी जिसके चलते वे फिर से धनपति बन गए थे और उनके सारे दु:ख दूर हो गए थे।
 
14. मिलता है सभी तरह का सुख : इस सूत्र को बांधने से व्यक्ति को सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है। यदि जीवन में सबकुछ खो चुके हो तो अनंत चतुर्दशी पर भगवान अनंत की विधिवत पूजा करके यह धागा अवश्य बांधें और नियमों का पालन करें तो फिर से सबकुछ प्राप्त हो जाएगा।

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