प्रवासी कविता : अगले जनम तक

पुष्पा परजिया
Love poems
 
लबों पर आ गए अल्फ़ाज़ दरिया की मौजें देखकर 
ख़याल थे विशाल समंदर की गहराइयों की तरह 
 
ऐसा लगा कि पहुंच गए हम अगले जनम तक 
और लम्बी गुफ्तगू करते रहे हम आपसे लगाव में 
 
जैसे लहरें बातें करते आईं हैं किनारों से आज तक 
दिवा स्वप्न था बैठे थे पास पास और मूंदी (बंद) आंखों से 
 
सपने संजोने लग गए हम जनम-जनम के साथ के 
साथ न छूटेगा अपना और हम रहेंगे बन के आपके  
 
झकझोर दी किसी आहट ने सपनो की वो दुनिया 
टूटा सपना, जगे अचानक और बोल उठा दिले नादां  
 
घबरा ना इस जन्म की गर्म हवा के थपेड़ो से 
क्योंकि ये कब के जा चुके होंगे तब तक 
 
कुदरत की बनाई इस जन्नत में निस्तब्ध शांति की गोद में 
निश्छल मन संग हम साथ रहेंगे जन्मों जनम तक 
 
थके हारे मन को दी शांति की कुछ सांसे इस स्वप्न ने  
काश मिल जाए अगला जन्म हम साथ पाएं आपका  
 
सदा एक हो कर हम रहें- क़यामत से क़यामत तक। 
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

हड्डियों की मजबूती से लेकर ब्लड शुगर कंट्रोल में बहुत फायदेमंद है व्रत में खाई जाने वाली ये चीज, फायदे जानकर रह जाएंगे दंग

केमिकल फ्री स्किन चाहते हैं तो इस नैचुरल फेस मास्क को आजमाएं, भूल जाएंगे पार्लर के महंगे ट्रीटमेंट

सफेद बालों को नेचुरली काला करने के लिए बहुत असरदार है ये DIY नुस्खे

पीरियड के फ्लोर और कलर से समझ आती है फर्टिलिटी की सेहत, जानिए पीरियड हेल्थ से जुड़ी जानकारी

इस डिटॉक्स ड्रिंक को पीने से खिल उठेगा चेहरा, अंदर से महसूस होगी ताज़गी

सभी देखें

नवीनतम

इस महिला दिवस खुद की तलाश में प्लान करें एक शानदार सोलो ट्रिप, ये जगहें रहेंगी शानदार

1 महीने तक नमक न खाने से क्या होता है शरीर पर असर, सच्चाई जानकर रह जाएंगे दंग

रमजान में खाए जाने वाले खजूर हैं सेहत का खजाना, जानिए फायदे

केक लवर्स सावधान! केक से हो सकता है कैंसर, रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

अगला लेख
More