Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

पीएम मोदी की चाणक्य नीति के दांव में फंसे पाकिस्तान और चीन

हमें फॉलो करें Chanakya narendra modi
, गुरुवार, 16 सितम्बर 2021 (19:13 IST)
17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन है। ऐसे बहुत कम राजनीतिज्ञ होंगे जो चाणक्य की नीति नहीं पढ़ते होंगे। एक समय था जब अमित शाह को चाणक्य माना जाता था और आज भी माना जाता है। कहते हैं कि अमित शाह देश के भीतर चाणक्य की नीति अपनाते हैं तो मोदी देश के बाहर। हालांकि यह दोनों कैसे इस नीति को फॉलो करते हैं इसका अनुमान लगाया जा सकता है। एक बार पुणे में अमित शाह ने कहा था कि पीएम मोदी चाणक्य के सिद्धांतों पर चलते हुए जनता का ख्याल रखते हैं।
 
 
1. जनभागीदारी : चाणक्य का मानना था कि जनता को साथ लिए बगैर घनानंद के शासन को उखाड़ फेंकना नामुमकिन है और साथ ही राज्य के निर्माण का सपना भी असंभव है। इसीलिए चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को लेकर आम जनता के दम पर अपनी एक सेना बनाई और तख्‍ता पलट कर दिया। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी यही किया उन्होंने अपने पहले कार्य स्वच्छता अभियान, नोटबंदी, जनता कर्फ्यू, लॉकडाउन से लेकर वैक्सीनेशन अभियान तक जनता से सहयोग मांगा और हर कार्य संभव कर दिखाया।
 
 
2. घेराबंदी : चाणक्य ने सम्राट पुरु के साथ मिलकर मगथ सम्राट घनानंद के साम्राज्य के खिलाफ राजनीतिक समर्थन जुटाया और अंत में घनानंद के नाश के बाद उन्होंने चंद्रगुप्त को मगथ का सम्राट बनाया और खुद महामंत्री बने। शत्रुओं की घेराबंदी करके चाणक्य ने न केवल घनानंद को हटाया बल्कि पड़ोसी राज्यों को भी मगथ साम्राज्य में मिलाने का अदभ्य साहस भी दिखाया। उन्होंने यवन सेनापति सेल्युकस को भी बंदी बनाकर यह सिद्ध कर दिया था कि हमारी सीमाओं पर नजरें डाली तो यही हाल होगा।
 
नरेंद्र मोदी ने भी यही किया। उन्होंने पाकिस्तान और चीन की घेराबंदी के लिए पहले तो अतंरराष्ट्रीय स्तर पर संबंधों को मजबूत किया। फिर चीन की घेराबंदी के लिए नेपाल, भूटान, मंगोलिया, जापान, मंगोलिया आदि देशों से अपने संबंध मजूबत बनाए। दूसरी ओर अफगानिस्तान, ईरान, मालदीव, कजाकिस्तान, तकाकिस्तान, अमेरिका, रशिया, जर्मन, फ्रांस और इसराइल से अपने संबंध मजूबत करके पाकिस्तान को हर मोर्चे पर मात दी।
 
विश्‍व के पहले व्यक्ति मोदी ही हैं जिन्होंने आतंकवाद के विरुद्ध अंतरराष्‍ट्री जगत को एकजुट किया। नरेंद्र मोदी ने ही विश्‍व को यह समझाया कि आतंकवाद लॉ एंड आर्डर, एक स्टेट या देश का मामला नहीं है बल्कि यह एक वैश्‍विक समस्या है। पीएम मोदीजी ने ही अंतरराष्ट्रीय जगत को समझाया कि गुड या बैड आतंकवाद नहीं होता। मोदी जी ने धीरे–धीरे आतंकवाद की समस्या का अंतर्राष्ट्रीयकरण किया जबकि इससे पहले आतंकवाद को गुड एवं बैड कहकर परिभाषित किया जा रहा था उन्होंने विश्व को आतंकवाद क्या है समझाया आतंकवाद मानवता का दुश्मन है, न गुड है न बैड। उन्होंने पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों के विरुद्ध विश्व बिरादरी का ध्यान खींचा।
 
 
3. परिवारवाद की राजनीति पर चोट : आचार्य चाणक्य ने उस काल में परिवारवाद की राजनीति या सत्ता को खत्म करके लोकतंत्र के राज्य का समर्थन करते हुए घनानंद के शासन को उखाड़ फेंका था। यही बाद नरेंद्र मोदी अपनी पहले लोकसाभ चुनाव से अब तक बोलते आए हैं कि परिवारवाद देश के लिए घातक है। कुछ पार्टिया एक ही परिवार की पार्टियां हैं। भाजपा किसी परिवार की नहीं जनता की पार्टी है। यहां एक चाय वाला भी प्रधानमंत्री बन सकता है। इस तरह के परिवारवाद के खिलाफ चाणक्य भी थे।
 
 
4. सबका साथ सबका विकास : सबका साथ सबका विकास होना चाहिए। अमित शाह ने एक बार पुणे में कहा था कि आचार्य चाणक्य ने सदियों पहले लोक-कल्याणकारी राज्य के लिए कारगर नीतियां हम भारतवासियों को दीं और आज पीएम मोदी की 'सबका साथ-सबका विकास' वाली लोक-कल्याणकारी नीतियों में वही झलक दिखती है।
 
 
5. शत्रु के खिलाफ कड़ा एक्शन : आचार्य चाणक्य मानते थे कि शत्रु को उसकी भाषा में ही जवाब देना चाहिए जो भाषा वह समझता हैं। यदि राजा कोई कड़ा फैसला नहीं लेता है तो उसे कमजोर माना जाता है और राज्य में भय का माहौल पैदा हो जाता है। मोदी ने भी इस नीति को अपनाया। जब पाकिस्तान ने 18 सितम्बर 2016 जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर पर भारतीय सेना के मुख्यालय पर किए गए आतंकी हमले में 19 जवान शहीद हो गए थे तब पीएम मोदी ने अपने भाषण में पाकिस्तान को कड़ा संदेश देकर सर्जिकल स्ट्राइक करवा दी थी। इसी तरह जब पुलवामा में पाकिस्तान समर्थित फिदायीन हमले में 40 जवान शहीद हुए थे तब एयर स्ट्राइक करके कड़ा संदेश दे दिया था कि अबकी बार यदि कुछ हुआ तो इससे भी आगे एक कदम और बड़ाया जाएगा। नरेंद्र मोदी के इस फैसले से देश की जनना में जोश भर गया था और लोगों ने यह समझ ‍लिया कि देश सुरक्षित हाथों में हैं।
 
 
6. आर्थिक फैसले : आचार्य चाणक्य ने अपने अर्थशास्त्र में राजस्व, कर राज्य व्यवस्था, कृषि, न्याय एवं राजनीति के बारे में विस्तार से लिखा है। चाणक्य मानते थे कि कर संग्रह के साथ ही जनकल्याण के कार्य भी जारी रहना चाहिए। पीएम मोदी ने एक और जहां अर्थव्यवस्था को सुधारने का कार्य किया वहीं उन्होंने जन कल्याण से जुड़ी कई योजनाओं को लांच करके गरीब जनता को लाभ पहुंचाया।
 
 
सेहत के प्रति सचेत : एक बार अप्रैल में नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में कोरोना महामारी के संदर्भ में चाणक्य नीति का एक श्लोक पढ़ा था। ‘अग्नि: शेषम् ऋण: शेषम्, व्याधि: शेषम् तथैवच। पुनः पुनः प्रवर्धेत, तस्मात् शेषम् न कारयेत।।


अर्थात हल्के में लेकर छोड़ दी गई आग, कर्ज और बीमारी, मौका पाते ही दोबारा बढ़कर खतरनाक हो जाती हैं। इसलिए उनका पूरी तरह से इलाज बहुत आवश्यक है। पीएम मोदी ने कहा, अति उत्साह में, स्थानीय स्तर पर, कही पर भी कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। दो गज की दूरी, बहुत है जरूरी। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

‘मोदी’ सरकार में 7 बड़े फैसले जिन्‍होंने बदल दी देश की दशा और दिशा