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पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के 5 सबसे बड़े असंभव कार्य, जो उन्होंने संभव कर दिखाए

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हमारे देश के वर्तमान प्रधनामंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को हुआ था। वे 2014 में देश पहली बार प्रधानमंत्री बने थे। उसके बाद 2019 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। उनके कार्यकाल के 7 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। इन 7 वर्षों में उनके शासन में कई महत्वपूर्ण कार्य हुए परंतु कुछ कार्य ऐसे थे जिन्हें कुछ लोग असंभव मानते थे। हालांकि ये कार्य कठिन जरूर थे परंतु असंभव नहीं। आओ जानते हैं वे कौनसे 5 बड़े कार्य है...
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1. स्वच्छ भारत अभियान : सचमुच यह अभियान बहुत बड़ा होने के साथ ही बहुत कठिन भी था। जनभागीदारी के बगैर यह संभव नहीं हो सकता था। परंतु पीएम मोदी के जादुई व्यक्तित्व के चलते लोगों ने उनका साथ दिया और आज भारत के हर गांव में शौचालय है और अब हर शहर, गांव, गली और चौराहे हमें स्वच्छ नजर आते हैं। मोदीजी ने अपने पहले कार्यकाल की शुरुआत में ही यह जिम्मा उठाया था और आज संपूर्ण भारत स्वच्छ हो चुका है।
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2. जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 का खात्मा : जम्मू और कश्मीर की जनता 70 साल से धारा 370 की जंजीरों में जकड़ी हुई थी। 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने कश्मीर को अनुच्छेद 370 से मुक्ति दे दी। इसी के साथ लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित राज्य घोषित किया गया। इससे कश्मीरी पंडितों को ही नहीं बल्कि राज्य के हर नागरिकों को अब केंद्र सरकार की लाभकारी योजनाओं का भी फायदा मिलने लगा, जिनसे कई सालों तक कश्मीर के लोगों को वंचित रखा गया।
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3. अयोध्या विवाद का अंत : अयोध्या विवाद के कारण देश में तनाव का माहौल था। यह देश का सबसे बड़ा धार्मिक विवाद होने के साथ ही कानूनी विवाद भी था। अयोध्या विवाद का हल भी मोदी सरकार 2.0 के पहले छह महीने में ही हो गया। वर्षों से कोर्ट की कार्रवाई में उलझे भगवान राम को सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिला और 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने अयोध्या में राम जन्मभूमि को ही राम का जन्म का स्थान माना। कोर्ट के आदेश के बाद भारत सरकार ने राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन करके भव्य राम मंदिर के निर्माण का कार्य भी प्रारंभ करवा दिया। संभवत: 2023 तक रामलला के गर्भगृह में दर्शन लाभ मिलेंगे। खास बात यह रही की इस फैसला का मुस्लिम पक्षकारों ने भी इस फैसले का स्वागत किया। उन्हें जन्मभूमि से अलग भूमि आवंटित भी कर दी गई।

5. तीन तलाक का खेल खत्म : मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक की कुप्रथा को बंद करने के लिए कई वर्षों से कानूनी लड़ाई लड़ रही थी। इस पर फैसला होना बहुत मुश्लिक था क्योंकि इसके लिए सरकार इच्छाशक्ति और न्याय व्यवस्था में कई तरह की रुकावटें थी। मोदी सरकार की इच्‍छाशक्ति के चलते ही सुप्रीम कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर इस मामले में सुनवाई तेजी कर दी और इस कुप्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया।
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2017 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक की प्रथा पर रोक लगाई थी। पांच जजों की पीठ ने तुरंत तलाक देने के इस रिवाज को असंवैधानिक करार दिया था। 2017 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कानून मंत्री ने तुरंत यह बिल लोकसभा में पेश किया था। तीन तलाक के मामले में तीन साल की जेल का प्रावधान करते हुए इसे आपराधिक मामला बनाया था। यह बिल लोकसभा में बहुमत से पास हो गया।

अब तीन तलाक कानून के तहत कोई भी मुस्लिम व्यक्ति मौखिक, लिखित या किसी अन्य माध्यम से अपनी पत्नी को एक बार में तीन बार तलाक देता है तो वह अपराध माना जाएगा। ऐसी मुस्लिम महिलाएं जो तीन तलाक के डर के साए में जीने को मजबूर थीं अब आत्मसम्मान के साथ अपनी जिंदगी जी रही हैं।

5. सर्जिकल और एयर स्ट्रॉइक से दिखा दिया सेना ने अपना पराक्रम : पहले ऐसा होता था कि पाकिस्तान आतं‍कवादियों की घुसपैठ करा करके कश्मीर, पंजाब आदि जगहों पर हमले करवा देता था। तब भारत इसका महज मौखिक ही विरोध दर्ज कराता था। परंतु पीएम मोदी ने आकर यह परिपाटी बदली और आतंक को उसी के घर में घुसकर जावाब देने की सेना को खुली छूट दे दी। सर्जिकल और एयर स्ट्राइक के जरिए भारतीय सेना ने ये बता दिया कि भारतीय सेना वक्त आने पर कुछ भी करने में सक्षम है।
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उरी आंतकी हमले के बाद 28 सितंबर 2016 को दुनिया का आधा हिस्सा सो रहा था और भारतीय सेना की स्पेशल फोर्स पाकिस्तान के नापाक मंसूबों का मुंहतोड़ जवाब दे रही थी। भारतीय कमांडोज ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर आतंकियों के लॉन्च पैड्स पर हमला कर उन्हें तबाह कर दिया। दूसरी बार भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी 2019 को बालाकोट एयर स्ट्राइक से पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया। भारतीय जवानों ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकियों के ठिकानों को तबाह कर दिया था। सेना ने पाकिस्तान ही नहीं बल्कि चीन के मुगालते भी दूर कर दिए है। डोकलाम विवाद, पैंगोंग झील विवाद और गलवान घाटी में चीन को मुंह की खाना पड़ी है।

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