दुर्गा अष्टमी की पूजा कैसे करें, 10 महाविद्या के सिद्धि मंत्र

Webdunia
गुरुवार, 7 जुलाई 2022 (11:21 IST)
30 जून 2022, गुरुवार से आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो गई थी जो 8 जुलाई तक रहेगी। आज 7 जुलाई को अष्टमी है। यह माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मासिक दुर्गाष्टमी भी कहते हैं। लेकिन नवरात्रि की अष्टमी को महाष्‍टमी कहते हैं। गुप्त नवरात्रि में जहां माता दुर्गा की पूजा होती है वहीं 10 महाविद्याओं की पूजा भी होती है। आओ जानते हैं कि इस दिन माता दुर्गा की पूजा कैसे करें और जानें 10 महाविद्याओं के सिद्धि मंत्र।
 
 
दुर्गा अष्टमी की पूजा :
- इस दिन माता के आठवें रूप महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन माता दुर्गा की उत्पत्ति हुई थी और इसी दिन माता ने दुर्गम नाम के असुर का वध करके देवताओं को बचाया था।
 
- इस दिन माता का षोडशोपचार पूज और हवन किया जाता है। अत: इस दिन नित्यकर्मों से निवृत्त होकर माता की मूर्ति या चित्र को एक पाट पर लाल वस्त्र बिछाकर विराजमान करें। मूर्ति या चित्र को गंगाजल छिड़कर शुद्ध करें।
 
- अब एक चावल की ढेरी लगाकर उसके उपर तांबे या पीतल का जलभरा कलश रखें और उस कलश में आम के पत्ते रखकर उसपर नारियल रखें। फिर कलश की पूजा करें।
 
- अब षोडशोपचार पूजन करें। षोडशोपचार पूजन अर्थात 16 तरह से माता का पूजन करना है। यानी 16 तरह की वस्तुओं को अर्पित करना है। ये 16 प्रकार हैं- 1.ध्यान-प्रार्थना, 2.आसन, 3.पाद्य, 4.अर्ध्य, 5.आचमन, 6.स्नान, 7.वस्त्र, श्रृंगार, चुनरी, 8.यज्ञोपवीत, 9.गंधाक्षत, मेहंदी आदि, 10.पुष्प, 11.धूप, 12.दीप, 13.नैवेद्य, 14.ताम्बूल, दक्षिणा, जल आरती, 15.मंत्र पुष्पांजलि, 16.प्रदक्षिणा-नमस्कार एवं स्तुति।
 
- षोडशोपचार पूजन के बाद माता की आरती उतारें और अंत में प्रसाद का वितरण करें।
 
- फिर नौ कन्याओं को भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा दें। अंत में आप भोजन करें।
 
- आप चाहें तो माता के 10 रूप की पूजा भी कर सकते हैं, लेकिन उन 10 रूपों में से किसी एक सात्विक रूप का चयन करके उनकी पूजा करें।

- प्रवृति के अनुसार दस महाविद्या के तीन समूह हैं। पहला:- सौम्य कोटि (त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, मातंगी, कमला), दूसरा:- उग्र कोटि (काली, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी), तीसरा:- सौम्य-उग्र कोटि (तारा और त्रिपुर भैरवी)।
10 महाविद्याओं के मंत्र :
 
1. काली : ऊँ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं दक्षिण कालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं स्वाहा:।
 
2. तारा : ऐं ऊँ ह्रीं क्रीं हूं फट्।
 
3. त्रिपुर सुंदरी : श्री ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क्रीं कए इल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नम:।
 
4. भुवनेश्वरी : ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं सौ: भुवनेश्वर्ये नम: या ह्रीं।
 
5. छिन्नमस्ता : श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्रवैरोचनीयै हूं हूं फट् स्वाहा:।
 
6. त्रिपुरभैरवी : ह स: हसकरी हसे।'
 
7. धूमावती : धूं धूं धूमावती ठ: ठ:।
 
8. बगलामुखी : ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिव्हा कीलय, बुद्धिं विनाश्य ह्लीं ॐ स्वाहा:।
 
9. मातंगी : श्री ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा:।
 
10. कमला : ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Tula Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: तुला राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Job and business Horoscope 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों के लिए करियर और पेशा का वार्षिक राशिफल

मार्गशीर्ष माह की अमावस्या का महत्व, इस दिन क्या करें और क्या नहीं करना चाहिए?

क्या आप नहीं कर पाते अपने गुस्से पर काबू, ये रत्न धारण करने से मिलेगा चिंता और तनाव से छुटकारा

Solar eclipse 2025:वर्ष 2025 में कब लगेगा सूर्य ग्रहण, जानिए कहां नजर आएगा और कहां नहीं

सभी देखें

धर्म संसार

Meen Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: मीन राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Kumbh Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: कुंभ राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

2025 predictions: वर्ष 2025 में आएगी सबसे बड़ी सुनामी या बड़ा भूकंप?

Utpanna ekadashi Katha: उत्पन्ना एकादशी व्रत की पौराणिक कथा

Aaj Ka Rashifal: 25 नवंबर के दिन किसे मिलेंगे नौकरी में नए अवसर, पढ़ें 12 राशियां

अगला लेख
More