मुंबई। संकट में फंसे निजी क्षेत्र के YES बैंक का मानना है कि अगले वित्त वर्ष 2020-21 में भी उसकी गैर निष्पादित आस्तियों (NPA) की समस्या कायम रहेगी। हालांकि, बैंक के नामित मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) प्रशांत कुमार को भरोसा है कि 10,000 करोड़ रुपए के पूंजी निवेश के बाद बैंक फिर से खड़ा हो सकेगा।
डूबे कर्ज के दबाव की वजह से यस बैंक को चालू वित्त वर्ष की दिसंबर में समाप्त तीसरी तिमाही में 18,654 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। यह निजी क्षेत्र के किसी बैंक का अब तक का सबसे ऊंचा घाटा है। बैंक से पिछले छह माह के दौरान 72,000 करोड़ रुपए की निकासी हुई और यह आंकड़ा 1.37 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया।
कुमार का मानना है कि 10,000 करोड़ रुपए के पूंजी निवेश और 1,000 से अधिक शाखाओं और मजबूत उपभोक्ता आधार के चलते यस बैंक ‘चलती हालत’ में बना रहेगा।
बैंक ने कुमार के आकलन का उल्लेख करते हुए कहा, 'प्रस्तावित पूंजी निवेश और बैंक के ग्राहकों की अच्छी संख्या और शाखाओं के नेटवर्क के जरिये बैंक का कारोबार बना रहेगा। सामान्य कामकाज में बैंक न केवल अपनी संपत्तियां वसूल सकेगा बल्कि देनदारियों का भुगतान भी कर सकेगा।'
कुमार को रिजर्व बैंक ने यस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया है। वह बैंक पर लगाई गई रोक समाप्त होने के बाद बुधवार शाम से सीईओ का पद संभालेंगे।
निवेशकों के समक्ष प्रस्तुतीकरण में बैंक ने कहा कि उसके द्वारा कॉरपोरेट जगत को दिया गया एक-तिहाई कर्ज डूबे कर्ज की श्रेणी में आ गया है। इस वजह से कुमार की अगुवाई वाला नया प्रबंधन आगे चलकर खुदरा और छोटे कारोबारी ऋण पर ध्यान केंद्रित करेगा।
बैंक ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि 8,500 करोड़ रुपए के अतिरिक्त टियर-1 बांड को पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू करने से पहले पूरी तरह बट्टे खाते में डाला जाएगा।
रिजर्व बैंक ने कुमार को 5 मार्च को बैंक का प्रशासक नियुक्त किया था। बैंक अपने लिए जरूरत की पूंजी जुटाने में विफल रहा था जिसके बाद सरकार ने उसके निदेशक मंडल को भंग कर दिया।