दिल्ली में जारी पहलवानों के आंदोलन की लपटें उत्तराखंड में गंगा किनारे तक भी पहुंच गई। दिल्ली के जंतर-मंतर से हटा दिए गए पहलवान गंगा दशहरा पर्व के दिन अपने मेडल गंगा में विसर्जित करने हर की पैड़ी पहुंचे। जैसे ही वे मेडल गंगा में विसर्जित करने की तैयारी में थे तो भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने वहां पहुंचकर उनको ऐसा करने से रोका और उनके हाथ से मेडल की पोटली अपने हाथ में लेते हुए कहा कि वे उन्हें 5-7 दिन का समय दें उनको लेकर वे पंचायत करके कोई निर्णय लेंगे।
मुर्दाबाद के नारे लगे : गंगा के घाट में पहलवानों के समर्थन में हाथों में बैनर लिए उनके समर्थक नारेबाजी करते नजर आए। इस दौरान महिला पहलवान भी काफी भावुक नजर आईं। इस दौरान भारी मात्रा में भारी मात्रा में पुलिस बल की मौजूदगी के अलावा जल पुलिस भी मुस्तैद बनी रही। पहलवानों के समर्थक ब्रजभूषण मुर्दाबाद के नारे लगाते रहे।
पूरे घटनाक्रम के दौरान गंगा घाट पर अफरा-तफरी व तनाव का माहौल बना रहा। गंगा दशहरा स्नान पर्व होने के चलते हर की पैड़ी के गंगा घाट श्रद्धालुओं से लबालब भरे हुए थे। अपने मेडल गंगा में विसर्जित करने के लिए दिल्ली से हरिद्वार पहुंचे पहलवानों के समर्थन में विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में हर की पैड़ी पर एकत्रित हो गए।
गंगा महासभा ने किया विरोध : दूसरी तरफ श्री गंगा महासभा ने हर की पैड़ी पर पदक विसर्जन का विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना था कि वे तीर्थ को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने देंगे। हर की पैड़ी की प्रबंध कार्यकारिणी संस्था श्री गंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम ने कहा कि यह सनातन का पवित्र तीर्थ स्थल है, इसे राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने दिया जाएगा। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि वह पहलवानों को ऐसा करने से रोके।
ट्वीट के जरिए किया था ऐलान : पहलवानों के अचानक लिए इस निर्णय को विनेश फोगाट ने अपने ट्वीट के जरिए लोगों को बताया। उन्होंने ट्वीट में लिखा- 28 मई को जो हुआ वह आप सबने देखा। पुलिस ने हम लोगों के साथ क्या व्यवहार किया. हमें कितनी बर्बरता से गिरफ़्तार किया। हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे। हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने तहस नहस कर हमसे छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही एफ़आईआर दर्ज कर दी गई।
क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय मांग कर कोई अपराध कर दिया है। पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है, जबकि उत्पीड़क खुली सभाओं में हमारे ऊपर फबतियां कस रहा है। टीवी पर महिला पहलवानों को असहज कर देनी वाली अपनी घटनाओं को क़बूल करके उनको ठहाकों में तब्दील कर दे रहा है।
यहां तक कि पास्को एक्ट को बदलवाने की बात सरेआम कह रहा है। हम महिला पहलवान अंदर से इतना ऐसा महसूस कर रही हैं कि इस देश में हमारा कुछ बचा नहीं है। हमें वे पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में मे जीते थे।
अब लग रहा है कि क्यों जीते थे। क्या इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करे, हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे। कल पूरा दिन हमारी कई महिला पहलवान खेतों में छिपती फिरी हैं। तंत्र को पकड़ना उत्पीड़क को चाहिए था, लेकिन वह पीड़ित महिलाओं को उनका धरना ख़त्म करवाने, उन्हें तोड़ने और डराने में लगा हुआ है।
आमरण अनशन की चेतावनी : इस चमकदार तंत्र में हमारी जगह कहाँ हैं, भारत के बेटियों की जगह कहाँ हैं। क्या हम सिर्फ़ नारे बनकर या सत्ता में आने भर के एजेंडा बनकर रह गई हैं। मेडल हमारी जान हैं, हमारी आत्मा हैं। इनके गंगा में बह जाने के बाद हमारे जीने का भी कोई मतलब रह नहीं जाएगा।
इसलिए हम इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। इंडिया गेट हमारे उन शहीदों की जगह है जिन्होंने देश के लिए अपनी देह त्याग दी। हम उनके जीतने पवित्र तो नहीं हैं लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलते वक्त हमारी भावना भी उन सैनिकों जैसी ही थी।
अपवित्र तंत्र अपना काम कर रहा है और हम अपना काम। अब लोगों को सोचना होगा कि वह अपनी इन बेटियों के साथ हैं या इन बेटियों का उत्पीड़न करने वाले उस तेज सफ़ेदी वाले तंत्र के साथ। Edited By : Sudhir Sharma