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Wrestlers Protest : गंगा नदी में पदक बहाने पहुंचे पहलवान, फूट-फूटकर रोईं साक्षी मलिक और विनेश फोगाट

हमें फॉलो करें Wrestlers Protest : गंगा नदी में पदक बहाने पहुंचे पहलवान, फूट-फूटकर रोईं साक्षी मलिक और विनेश फोगाट
, मंगलवार, 30 मई 2023 (18:25 IST)
हरिद्वार। brij bhushan sharan case vs wrestler : बृजभूषण शरण सिंह (Brij BhushanSharan Singh) के खिलाफ आंदोलन कर रहे पहलवान अपने मेडल गंगा में बहाने के लिए हरिद्वार पहुंच गए हैं। साक्षी मलिक (SakshiMalik) , विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) और अन्य पहलवान फूट-फूटकर रोए। इससे पहले पहलवानों ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट लिखकर जानकारी दी है। इधर गंगा सभा के अध्यक्ष ने कहा कि गंगा को राजनीति का अखाड़ा न बनाएं।
उन्होंने बताया कि 30 मई शाम 6 बजे खिलाड़ी अपना मेडल हरिद्वार में गंगा में प्रवाहित कर देंगे। विनेश फोगाट ने ये ऐलान 28 मई को पहलवानों के खिलाफ दिल्ली पुलिस के एक्शन के दो दिन बाद किया है। उन्होंने यह भी कहा कि आंदोलन के दौरान प्रधानमंत्री ने एक बार भी पहलवानों की सुध नहीं ली। 
एक महीने से कर रहे हैं प्रदर्शन : यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पहलवानों यहां जंतर-मंतर पर करीब एक महीने से प्रदर्शन कर रहे थे। पहलवानों ने रविवार को नवनिर्मित संसद तक मार्च करने और वहां महिला महापंचायत करने की योजना बनायी, लेकिन पहलवानों के प्रदर्शन स्थल से निकलते ही पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और जंतर-मंतर से उनके तंबू उखाड़ दिये।
 
पुलिस के बर्ताव से दु:खी : पहलवानों ने संयुक्त बयान में कहा कि आपने देखा कि 28 मई को क्या हुआ, पुलिस ने कैसा व्यवहार किया और कितनी बेरहमी से हमें गिरफ्तार किया। हम शांतिपूर्वक विरोध कर रहे थे लेकिन उन्होंने हमारे विरोध स्थल को छीन लिया और गंभीर अपराधों के तहत हमारे खिलाफ मामला दर्ज किया। क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिये न्याय मांगकर गलती की?

पुलिस और अधिकारी हमारे साथ अपराधियों की तरह व्यवहार कर रहे हैं जबकि असली अपराधी खुले में घूम रहा है। हमारे अनुभव टेलीविजन पर हंसी का पात्र बनते जा रहे हैं। यहां तक ​​कि (बृजभूषण) पॉक्सो अधिनियम में बदलाव लाने की बात सरेआम कह रहा है।"
 
पहलवानों ने पदक जीतने की अपनी मेहनत पर कहा कि हम महिला पहलवानों को लगता है कि हमारे पास इस देश में कुछ भी नहीं बचा है।

हमें याद है जब हमने इस देश के लिए ओलंपिक और विश्व स्तर पर पदक जीते थे। अब लग रहा है कि हमने यह पदक क्यों जीते थे? क्या हम इसलिए जीते थे कि अधिकारी हमारे साथ इतना बुरा बर्ताव कर सकें? ताकि वे हमारे साथ दुर्व्यवहार कर सकें और फिर हमें गलत ठहरा सकें?
 
प्रदर्शनकारी पहलवानों ने अधिकारियों पर डराने-धमकाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सजा 'पीड़ितों की बजाय अपराधी' को दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पदक लौटाने पर विचार कर रहे थे, लेकिन उनकी व्यथा पर दोनों नेताओं की खामोशी के कारण वे ऐसा नहीं करेंगे। Edited By : Sudhir Sharma

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