नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया है। 28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच ने सबरीमाला मामले में अपना फैसला सुनाते हुए सभी उम्र की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी थी।
गुरुवार को 5 सदस्यीय पीठ ने 7 सदस्यीय पीठ के पास भेज दिया। पीठ ने कहा कि सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के संबंध में पूर्व का फैसला वृहद पीठ का अंतिम निर्णय आने तक बरकरार रहेगा।
इस मामले में न्यायमूर्ति नरीमन और न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने फैसले से असहमति जताई और अलग से अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब 16 नवंबर से शुरू होने वाली वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए महिलाओं के अनुमति दे या नहीं, इसका निर्णय केरल सरकार पर छोड़ दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 4:1 के बहुमत से 28 सितंबर 2018 को दिए फैसले में 10 से 50 वर्ष की आयु वाली महिलाओं और लड़कियों के प्रवेश पर लगी रोक को यह कहकर हटा दिया था कि हिन्दू धर्म की सदियों पुरानी यह परंपरा गैरकानूनी और असंवैधानिक है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बाद केरल में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने 28 सितंबर 2018 के उसके फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद 6 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
ये मामले 7 सदस्यीय पीठ को सौंपे : सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर और मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश तथा दाऊदी बोहरा समाज में स्त्रियों के खतना सहित विभिन्न धार्मिक मुद्दे गुरुवार को नए सिरे से विचार के लिए 7 सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिए। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ इन धार्मिक मुद्दों को नए सिरे से विचार के लिए 7 सदस्यीय पीठ को सौंपे जाने पर एकमत थी, लेकिन सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के 28 सितंबर 2018 के शीर्ष अदालत के फैसले पर पुनर्विचार की याचिकाओं पर उसने 3:2 के बहुमत से निर्णय दिया। फैसले को लेकर केरल में बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध होने के बाद दायर याचिकाओं पर संविधान पीठ ने खुली अदालत में सुनवाई की थी।
दायर हुई थीं 65 याचिकाएं : सबरीमाला मंदिर प्रकरण में संविधान पीठ ने बहुमत का निर्णय 56 पुनर्विचार याचिकाओं सहित 65 याचिकाओं पर सुनाया। न्यायालय के 28 सितंबर के फैसले का केरल में हिंसक विरोध होने के बाद ये याचिकाए दायर की गई थीं। याचिका दायर करने वालों में नायर सर्विस सोसायटी, मंदिर के तांत्री, त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड और राज्य सरकार भी शामिल थीं।
भाजपा ने किया फैसले का स्वागत : भाजपा के वरिष्ठ नेता बीएल संतोष ने सबरीमाला मंदिर में हर आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के मामले को सुनवाई के लिए बड़ी पीठ को भेजने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए दावा किया कि यह श्रद्धालुओं के अधिकारों एवं उनकी आस्था की सुरक्षा की दिशा में उठाया गया कदम है।
थरूर ने किया स्वागत : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने सबरीमाला मंदिर तथा कुछ अन्य मुद्दों पर नए सिरे से विचार के लिए संविधान पीठ के पास भेजे जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि ये मुद्दे सभी धर्मों की अनुपालना पर असर डालने वाले हैं।