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चर्चित मुद्दा: कांग्रेस में मचा घमासान, कौन संभालेगा कमान ?

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विकास सिंह

, शनिवार, 27 अगस्त 2022 (13:53 IST)
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस से दिग्गज नेताओं के इस्तीफे की झड़ी, इस सप्ताह का सबसे चर्चित मु्द्दा रहा। कमजोर संगठन और एक के बाद एक नेताओं के पार्टी को गुडबॉय कहने के बाद कांग्रेस अपने इतिहास के सबसे बड़े संकट के दौर से गुजर रही है। तीन साल से अधिक समय से पूर्णकालिक अध्यक्ष का इंतजार कर रही कांग्रेस पार्टी से एक के बाद एक बड़े नेताओं के पार्टी से इस्तीफा देने से पार्टी के भविष्य को लेकर भी सवाल उठने लगे है?

जब कांग्रेस अपने लिए अध्यक्ष का चुनाव करने जा रही है तब पांच दशक से अधिक समय तक कांग्रेस का प्रमुख चेहरा रहने वाले गुलाम नबी आजाद के पार्टी छोड़ने के साथ ही कांग्रेस की वर्तमान स्थिति के लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराने के बाद अब इस बात की संभावना बहुत कम रह गई है है कि गांधी परिवार का कोई व्यक्ति कांग्रेस की कमान संभालेगा? सवाल इसलिए भी बड़ा है क्योंकि कांग्रेस के बड़े चेहरों ने पार्टी कमान संभालने से इंकार कर दिया है। 
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बड़े चेहरों का कांग्रेस की कमान संभालने से इंकार-कांग्रेस से नेताओं की भगदड़ के बीच कांग्रेस को दो सबसे बड़े और वरिष्ठ चेहरों ने कांग्रेस की कमान संभालने से इंकार कर दिया है। इसमें पहला नाम मध्यप्रदेश से आने वाले कमलनाथ का। इंदिरा गांधी के समय से गांधी परिवार से विश्वस्त कमलनाथ, जो वर्तमान में मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष है, ने साफ कह दिया है कि वह मध्यप्रदेश में ही रहेंगे और उनका दिल्ली जाना का कोई इरादा नहीं है। कमलनाथ मध्यप्रदेश में एक साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में पूरी तह जुटे हुए है। 
 
वहीं दूसरा नाम राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का है। बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत का नाम अध्यक्ष पद के लिए आगे बढ़ाया है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे होने की चर्चाओं के बीच गहलोत ने साफ कर दिया है कि वह राजस्थान छोड़कर कहीं नहीं जा रहे है। गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए गहलोत ने कहा कि मैं प्रदेश में ही रहूंगा। अपनी आखिरी सांस तक राजस्थान से दूरी नहीं बनाऊंगा। वहीं बीते दिनों कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर खासा सक्रिय नजर आने वाले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अब अपने को राज्य में सीमित कर लिया है। 
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कांग्रेस में इन चेहरों के अलावा आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल,मनीष तिवारी, शशि थरूर जैसे बड़े नाम कांग्रेस में सवाल उठाने वाले G-23 के सदस्य है, ऐसे में इनकी अध्यक्ष पद की दावेदारी खुद ही खत्म हो जाती है और इस बात की संभावना बहुत कम है कि इनमें से किसी को कांग्रेस की कमान मिले। वहीं अध्यक्ष पद की दौड़ में अन्य मल्लिकार्जुन खड़गे, दिग्विजय सिंह, अधीर रंजन चौधरी जैसे नाम है लेकिन अक्सर सुर्खियों में रहने वाले इन नेताओं को कमान मिले है, इसकी संभावना ना के बराबर है।  
ऐसे वक्त जब कांग्रेस में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही कांग्रेस में नए अध्यक्ष का चुनाव होगा तब सवाल यह है कि गांधी परिवार के पीछे हटने के बाद कांग्रेस की कमान कौन संभालेगा। राहुल गांधी के लगातार कांग्रेस की कमान संभालने से इंकार करने के बाद अब कांग्रेस अपना नए अध्यक्ष चुनने के लिए आगे बढ़ चुकी है। ऐसे में कांग्रेस के नए अध्यक्ष के सामने क्या चुनौती होगी उसको भी समझना जरूरी है। 

गांधी परिवार के साये से बाहर निकलना बड़ी चुनौती?- कांग्रेस जो 2019 के बाद कार्यकारी अध्यक्ष के सहारे चल रही है उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती अपना पूर्णकालिक अध्यक्ष चुनना है। ऐसे में जब राहुल गांधी ने अध्यक्ष बनने से इंकार कर दिया है तब बिखरती कांग्रेस को कौन संभालेगा यह बड़ा सवाल है? कांग्रेस के नए अध्यक्ष के समाने चुनौती गांधी परिवार के साये से बाहर निकलना भी एक चुनौती होगी। कांग्रेस और गांधी परिवार एक दूसरे से पर्याय माने जाते है। जब जब कांगेस में गांधी परिवार के बाहर कोई व्यक्ति पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया है उसको एक तरह से रबर स्टैंम्प माना गया है। ऐसे में नए अध्यक्ष को अपनी अलग स्वतंत्र छवि बनाए रखने के लिए गांधी परिवार के साये से बाहर निकलना होगा जिसके कि वह खुद पार्टी पर अपनी मजबूत पकड़ बना सके। 
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कांग्रेस का नए सिरे से खड़ा करना बड़ी चुनौती?– कांग्रेस के नए अध्यक्ष के समाने सबसे बड़ी और पहली चुनौती पार्टी का पुनर्गठन करना होगा। राहुल गांधी ने कांग्रेस संगठन को खड़ा करने की कोशिश की लेकिन उसमें वह कामयाब नहीं हो पाए।  कांग्रेस में अगर गांधी परिवार के बाहर अगर कोई नया अध्यक्ष चुना जाएगा तो वह एक ऐसे समय पार्टी की कमान संभालेगा जब पार्टी गहरे संकट से गुजर रही है। ऐसे में कांग्रेस को संगठन के साथ साथ विचाराधारा पर भी नए सिरे से खड़ा करने की जरूरत होगी जो किसी चुनौती से कम नहीं होगा।  
 
पार्टी में बिखराव को रोकना बड़ी चुनौती?–कांग्रेस के नए अध्यक्ष के समाने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी में होने वाले बिखराव को रोकना होगा। दो दशक से अधिक लंबे अंतराल के बाद कांग्रेस में गैर गांधी परिवार के अध्यक्ष बनने के बाद अब उसके सामने पार्टी को एकजुट रखना बड़ी चुनौती है। पार्टी में इस वक्त नए और पुराने नेताओं के बीच जो कोल्ड वॉर छिड़ी है उस पर काबू करना और दोनों के बीच सांमजस्य बनाए रखना नए अध्यक्ष के लिए इतना आसान काम नहीं होगा। पार्टी के बड़े नेताओं के बीच इस समय खेमेबाजी साफ दिखाई दे रही है इस खेमेबाजी को खत्म कर फिर से सभी को पार्टी के झंडे के नीचे लाना नए अध्यक्ष के सामने बड़ी चुनौती होगी। राहुल ने कांग्रेस ने नए नेतृत्व को आगे करने की असफल कोशिश की लेकिन वह अब सवालों के घेरे में है।  

पार्टी के कैडर को मजबूत करना चुनौती?–कांग्रेस के नए अध्यक्ष के सामने पार्टी के कैडर को फिर से खड़ा करना एक बड़ी चुनौती होगी। पार्टी के बड़े नेताओं के साथ चुनाव दर चुनाव हार से पार्टी के कार्यकर्ता मायूस होकर पार्टी का साथ छोड़ रहे हैं या छोड़ चुके है। ऐसे में नए अध्यक्ष के सामने चुनौती पूरे देश में पार्टी के कैडर को फिर से खड़ा करना जिससे कि वह भाजपा का सामना कर सके। बहराल राहुल गांधी इस काम में पूरी तरह असफल ही दिखाई दिए।  
 
पार्टी के अंदर लोकतंत्र को बहाल करना चुनौती?–पार्टी के अंदर लोकतंत्र बहाल करना नए अध्यक्ष के लिए एक और प्रमुख चुनौती है। एक लंबे समय से पार्टी के अंदर लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनाव होने की मांग उठती आई है। पार्टी में बड़े पदों पर मनोनयन की प्रक्रिया खत्म कर चुनाव के जरिए पदों पर नियुक्ति की मांग निचले स्तर के कार्यकर्ता लंबे समय से करते आए है। ऐसे में अगर पार्टी के कार्यकर्ताओं को एक जोश से फिर से एक जुट करना है तो लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराना सबसे प्रमुख चुनौती होगी।
 
बात चाहे कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले गुलाम नबी आजाद की हो या पार्टी में आत्मसम्मान का मुद्दा उठा चुके है आनंद शर्मा या कपिल सिब्बल जैसे नेताओं की, सभी ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीक से राहुल गांधी पर पार्टी के अदरूनी लोकतंत्र को खत्म करने का आरोप लगाया है।   
 

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