छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में चल रहे कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में सोनिया गांधी ने राजनीति से रिटायरमेंट के संकेत दिए हैं। कांग्रेस अधिवेशन को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के साथ ही मेरी सियासी भूमिका अंतिम दौर में है। उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा को एक टर्निंग प्वाइंट बताते हुए कहा कि इस यात्रा ने यह साबित कर दिया है कि भारत के लोग सद्भाव, सहिष्णुता और समानता चाहते हैं।
सोनिया गांधी ने कहा कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 2004 और 2009 में कांग्रेस पार्टी की जीत जीत ने मुझे व्यक्तिगत संतुष्टि दी, लेकिन मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि मेरी पारी भारत जोड़ो यात्रा के साथ समाप्त हुई, जो कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
शून्य से शिखर तक का सियासी सफर-सोनिया गांधी पति राजीव गांधी की हत्या (1991) के सात साल बाद 1997 में कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में कांग्रेस की सदस्य बनी और सक्रिय रूप से अपनी सियासी पारी का आगाज किया। अगर भारतीय राजनीति के इतिहास के पन्नों को पलटे तो सोनिया गांधी एक ऐसे कांग्रेस पार्टी की कमान अपने हाथों में संभाली थी जब पार्टी अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही थी। पार्टी के दिग्गज नेता पार्टी छोड़कर जा रहे थे और अपनी क्षेत्रीय पार्टियों का गठन कर रहे थे। वहीं राममंदिर आंदोलन की अगुवाई कर भाजपा हिंदुत्व के प्रचंड रथ पर सवार होकर सत्ता के शीर्ष पर पहुंच गई थी।
ऐसे समय सोनिया ने पार्टी की कमान अपने हाथों में संभालकर न केवल संगठन में दोबारा जान फूंक बल्कि पार्टी को मजबूत कर उसे 2004 में फिर सत्ता तक पहुंचाया। सोनिया गांधी पहली बार 1999 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के अमेठी से चुनाव लड़ा और जीतकर संसद पहुंची। खास बात यह है कि सोनिया गांधी ने 1999 में उत्तर प्रदेश के अमेठी के साथ कर्नाटक के बेल्लारी लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ा था और जहां उन्होंने भाजपा की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज को हराया था। पहली बार सांसद बनने के साथ 1999 में सोनिया गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनी।
दो दशक तक संभाली कमान-दो दशक से अधिक समय तक कांग्रेस की अध्यक्ष रही सोनिया गांधी ने 1998 में पहली बार पार्टी की कमान संभाली थी। कांग्रेस के इतिहास में सोनिया गांधी के नाम पर सबसे अधिक समय तक कांग्रेस अध्यक्ष रहने का रिकॉर्ड भी है। 1998 से 2017 तक कांग्रेस अध्यक्ष और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने पार्टी की कार्यकारी अध्य़क्ष रहते हुए पार्टी को बिखरने से बचाते हुए मजबूती प्रदान की।
2004 से लेकर 2014 तक केंद्र की सत्ता में कांग्रेस भले ही काबिज रही लेकिन सोनिया गांधी ने खुद प्रधानमंत्री नहीं बनकर मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया। सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए पार्टी सत्ता में लौटी तो सोनिया गांधी का तमाम दावों और कयासों के बाद भी प्रधानमंत्री नहीं बनाना सियासी पंडितों को चौंका गया था।
सोनिया की जगह राहुल या प्रियंका?-भले ही पिछले दिनों कांग्रेस ने 26 साल बाद गांधी परिवार के बाहर अपना अध्यक्ष चुन लिया हो लेकिन कांग्रेस में गांधी परिवार ही वह एक डोर है जो पूरी पार्टी को एकता के सूत्र में बांधी हुई है। सोनिया गांधी का निवास स्थान 10, जनपथ एक ऐसा स्थान है जब पर कांग्रेस के अंदरूनी मामलों की सुप्रीम सुनवाई होती है। बीते ढाई दशक से पार्टी के अंदर 10 जनपथ का फैसला ही आखिरी फैसला होता आया है। ऐसे में जब सोनिया गांधी ने राजनीति से रिटायरमेंट के संकेत दिए है तब अब पार्टी के अंदर सोनिया की जगह कौन लेगा राहुल या प्रियंका।
वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि कांग्रेस में गांधी परिवार की अहमियत किसी से छिपी नहीं है और अब जब सोनिया गांधी ने सक्रिय राजनीति से रिटारयरमेंट का इशारा किया है तो राहुल गांधी उनकी भूमिका में नजर आ सकते है। वह कहते हैं कि जैसा आज सोनिया गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा को टर्निंग प्वाइंट बताया है वैसे ही भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी का सियासी कद बढ़ा है। भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी पूरे देश में एक नेता के तौर पर स्थापित हुए है।
रायबरेली से सोनिया की जगह कौन लड़ेगा चुनाव?- वर्तमान में उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी पहली बार 2004 में रायबरेली सीट से सांसद चुनी गई थी और 2019 में चौथी बार रायबरेली सीट से सांसद चुनी गई। ऐसे में जब सोनिया गांधी ने अपनी सियासी पारी के विराम का संकेत के दे दिया है तब सवाल यह भी है कि रायबरेली से 2024 का लोकसभा चुनाव कौन लड़ेगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी को हार मिली थी वह क्या 2024 का लोकसभा चुनाव रायबरेली से लड़ेंगे या मां की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रियंका गांधी 2024 का लोकसभा चुनाव रायबरेली से लड़कर अपनी सियासी पारी का शंखनाद करेगी।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की राजनीति को कई दशकों से करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि रायबरेली गांधी परिवार के लिए एक पारंपरिक सीट रही है ऐसे में अब जब सोनिया गांधी ने राजनीति से संन्यास के संकेत दिए है तो स्वाभविक है कि वह 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगी। ऐसे में रायबरेली से 2024 का लोकसभा चुनाव गांधी परिवार की ओर से प्रियंका गांधी लड़ सकती है।
वह कहते हैं कि प्रियंका गांधी पिछले कुछ चुनाव से रायबरेली में पूरी चुनावी कमान संभालती आई है और वह रायबरेली से कनेक्ट भी है। ऐसे में वह 2024 का चुनाव रायबरेली से लड़ सकती है। वहीं रामदत्त त्रिपाठी कहते है कि 2019 का लोकसभा चुनाव अमेठी से हारने वाले राहुल गांधी अगर 2024 में उत्तर भारत की किसी सीट से चुनाव लड़ना चाहेंगे तो रायबरेली उनकी पहली पंसद हो सकता है।