लोगों के मन की बात पर्चे पर उतारने और उनकी समस्याओं का समाधान करने का दावा करने वाले युवा संत बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) की शोहरत 7 समंदर पार लंदन तक पहुंच चुकी है। भारत में तो उनके चमत्कार के चर्चे हैं ही। उनकी कथाओं में हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं। लेकिन, इस बार बाबा को महाराष्ट्र की अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति की चुनौती ने मुश्किल में डाल दिया है। समिति ने उन्हें चमत्कार साबित करने पर 30 लाख रुपए देने की भी की है। हालांकि बड़ा सवाल यह है कि क्या बागेश्वर बाबा चुनौती पर खरे उतरेंगे?
क्या है पूरा मामला : धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के नागपुर में 5 से 13 जनवरी तक रामकथा प्रवचन थे। इसी बीच, उनके वीडियो देखकर महाराष्ट्र अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के प्रमुख श्याम मानव ने उन्हें चुनौती देते हुए कहा था कि यदि शास्त्री उनके 10 लोगों में से 9 लोगों के नाम भी सही बता देंगे तो वे उन्हें 30 लाख रुपए देंगे साथ ही उनका विरोध करना भी छोड़ देंगे।
समिति के मुताबिक श्याम मानव रामकथा आयोजन में जाने वाले थे, लेकिन इसकी भनक लगते ही बाबा कथा छोड़कर 2 दिन पहले ही वहां से चले गए। बाद में बाबा के समर्थकों ने कहा कि शास्त्री को कैंसर अस्पताल से संबंधित एक बैठक में भाग लेना जाना था, इसलिए वे बीच में ही चले गए।
अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति का आरोप है कि बाबा भीड़ में अपने ही समर्थकों को बैठाते हैं। समिति का कहना है कि बाबा को श्याम मानव को अपने धाम बुलाना चाहिए। या फिर अपनी बात साबित करने के लिए कहीं और बुलाने की तारीख देनी चाहिए।
क्या कहते हैं बाबा : अलग-अलग स्थानों पर मीडिया से बातचीत में धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने कहा है कि मैं कोई चमत्कारी व्यक्ति नहीं हूं न ही किसी के मन की बात जानने की शक्ति रखता हूं। मैं कोई बागेश्वर सरकार भी नहीं हूं, मैं धीरेंद्र कृष्ण गर्ग हूं। बागेश्वर सरकार तो बालाजी महाराज हैं, जिनकी प्रेरणा से ही मैं लोगों की समस्या का हल करता हूं।
उन्होंने कहा कि यह हनुमानजी की ही शक्ति है, जब मैं गद्दी पर बैठता हूं तो उन्हीं की प्रेरणा से बोलता हूं। मेरे में कोई शक्ति नहीं है। गद्दी से अलग से मैं किसी के बारे में कुछ भी नहीं बता सकता। हनुमान जी जिस व्यक्ति के बारे में प्रेरणा देते हैं, मैं उसी के बारे में बता सकता हूं। आलोचनाओं पर शास्त्री ने कहा कि लोगों ने भगवान राम को नहीं छोड़ा तो मैं क्या चीज हूं। उन्होंने एक पुरानी कहावत का उल्लेख करते हुए कहा कि 'हाथी निकलता है बाजार, तो भौंकते हैं हजार'।
अंध श्रद्धा समिति को रायपुर बुलाया : इस बीच, खबर है कि शास्त्री ने अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के सदस्यों को 20-21 जनवरी को रायपुर बुलाया है। इसके लिए वे समिति के टिकट का खर्चा उठाने के लिए भी तैयार हैं। हालांकि बाबा कहना है कि जो भी हिन्दू धर्म का अपमान करेगा उसके खिलाफ वे बोलते रहेंगे।
क्या कहते हैं श्याम मानव : वहीं, अंध महाराष्ट्र अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के प्रमुख श्याम मानव ने मीडिया से चर्चा में कहा कि कहा कि मैं इंडियन साइंस कांग्रेस के लिए नागपुर आया था। इसी बीच, मुझे धीरेन्द्र शास्त्री की कथा और उनके दिव्य दरबार के बारे में जानकारी लगी। मैंने अपनी टीम के सदस्यों से उनके पुराने वीडियो दिखवाए और उनमें से आपत्तिजनक क्लिप्स निकालीं और इसके बारे में पुलिस को जानकारी दी। इन क्लिप्स में कई चीजें ऐसी हैं जो न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि केन्द्र सरकार के कानून का भी उल्लंघन करती हैं।
क्या कहता है कानून : श्याम मानव के मुताबिक महाराष्ट्र जादू-टोना विरोधी कानून 2013 के मुताबिक गलत चीजों का प्रचार-प्रसार करना भी गुनाह है। यह गैर जमानती अपराध है। इस कानून के तहत 6 माह से 7 साल तक की सजा का प्रावधान है, जबकि 5 से 50 हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। ऐसे मामलों की जांच की जिम्मेदार इंस्पेक्टर एवं उससे ऊपर के ओहदे वाले अधिकारी को सौंपी जाती है। श्याम मानव के मुताबिक ऐसे मामलों में पुलिस की जिम्मेदारी बनती है कि वह खुद एफआईआर दर्ज करे और मामले को कोर्ट तक पहुंचाए। इस मामले में केन्द्र सरकार का ड्रग एंड मेजिक रेमिडी एक्ट 1954 भी है।
कौन हैं धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री : बुंदेलखंड में छतरपुर जिले के छोटे से गांव गढ़ा में धीरेन्द्र कृष्ण गर्ग का जन्म 1996 में हुआ था। यह गांव खजुराहो से महज 20 किलोमीटर दूर है। उन्हें प्यार से घर-परिवार में धीरू नाम से पुकारा जाता है। उनका पालन पोषण गरीबी में हुआ। फिर धीरे-धीरे उन्होंने कथा करना शुरू किया और देखते ही देखते धीरू से धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री हो गए।
उनके भक्तों का दावा है कि धीरेंद्र लोगों के मन की बात को पर्चे पर उतार देते हैं, साथ ही उनकी समस्या का हल भी बता देते हैं। 1 जून से 15 जून तक ब्रिटेन के प्रवास के दौरान उन्होंने लंदन और लेस्टर में श्री हनुमत कथा और श्रीमद भागवत कथा का वाचन किया। उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड ब्रिटेन और संत शिरोमणि का अवार्ड मिला है। यह सम्मान उन्हें सामाजिक और धार्मिक कामों को देखते हुए दिया गया।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala