Kumar's bail plea rejected : दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी विभव कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिन पर मुख्यमंत्री आवास पर आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट करने का आरोप है।
अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि मालीवाल ने प्राथमिकी दर्ज कराने में कोई पूर्व-चिंतन नहीं किया था और उनके आरोपों को खारिज नहीं किया जा सकता। तीस हजारी अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील अनुज त्यागी ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मुख्यमंत्री के निजी सहायक कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी।
न्यायाधीश ने कहा, पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज नहीं किया जा सकता है। केवल प्राथमिकी दर्ज कराने में देरी से मामले पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि चार दिनों के बाद भी मेडिकल रिपोर्ट में चोटें स्पष्ट रूप से दर्ज हुई हैं। अदालत ने कहा कि जांच अभी शुरुआती चरण में है और गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
इससे पहले, सुनवाई के दौरान, राज्यसभा सदस्य मालीवाल ने अदालत से कहा कि अगर कुमार को रिहा किया गया, तो उनकी जान को खतरा है और उनके परिवार को गंभीर खतरा है। मालीवाल ने दावा किया कि घटना के बारे में एक यूट्यूबर द्वारा एकतरफा वीडियो बनाया गया था, जिसके बाद उन्हें धमकियां मिलनी शुरू हो गईं।
इस प्रकरण में 13 मई को घटना के दिन मुख्यमंत्री आवास के कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए हैं, जिनमें से एक में मालीवाल को सुरक्षाकर्मियों के साथ बहस करते हुए देखा जा सकता है, जबकि दूसरे में वह सिविल लाइंस में मुख्यमंत्री आवास से बाहर निकलती दिखाई देती हैं।
मालीवाल के वकील ने कहा कि कुमार के जेल में होने के बावजूद आप सांसद को धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने कुमार के निर्दोष होने पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि कुमार ने अपना फोन फॉर्मेट कर दिया था और घटना की सीसीटीवी फुटेज डिलीट कर दी थी।
अतिरिक्त लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि मालीवाल ने मुख्यमंत्री आवास में जबरन प्रवेश नहीं किया था। उन्होंने कहा कि अपनी सेवाएं समाप्त होने के बावजूद कुमार एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं। कुमार के वकील ने जमानत का अनुरोध करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल जमानत पाने की तीन शर्तें पूरी करते हैं, क्योंकि उनके फरार होने का खतरा नहीं है, न ही सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने या गवाहों को प्रभावित करने की संभावना है।
कुमार के वकील ने दावा किया कि पुलिस के साथ सहयोग करने के बावजूद उनके मुवक्किल को गिरफ्तार कर लिया गया। वकील ने कहा कि मामले में प्राथमिकी तीन दिन की देरी के बाद सोच-समझकर दर्ज की गई थी। कुमार को शनिवार को चार दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था और मंगलवार को उन्हें अदालत में पेश किए जाने की संभावना है। (भाषा)