अयोध्या। अयोध्या में राम मंदिर बनाने के आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले विश्व हिन्दू परिषद (VHP) के दिवंगत अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष, संरक्षक अशोक सिंघल को उनके ही संगठन विहिप ने ही भुला दिया। दरअसल, अयोध्या पर फैसले के बाद 17 नवंबर को सिंघल की पहली पुण्यतिथि थी और कारसेवकपुरम में पूरी तरह सन्नाटा छाया रहा।
सिंघल अयोध्या में राममंदिर का सपना लिए ही दुनिया से विदा हो गए। वे राम मंदिर आंदोलन में घायल भी हुए थे और अयोध्या के कारसेवकपुरम में अक्सर आया करते थे। उनका निधन 4 वर्ष पूर्व 17 नवंबर 2015 को हो गया था।
इस वर्ष की 17 तारीख से पूर्व अयोध्या के सबसे संवेदनशील मामले एवं अशोक सिंघल के सपने श्री राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया, जिसे पूरे देश ने सम्मान के साथ स्वीकार भी किया। विहिप 18 नवंबर को सिंघल की पुण्यतिथि मनाती रही है, लेकिन इस बार सिंघल भुला दिए गए।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के पुरोधा रहे स्व. अशोक सिंघल की चौथी पुण्यतिथि पर विहिप का प्रमुख मुख्यालय माने जाने वाले कारसेवकपुरम में 17 और 18 नवंबर दोनों ही सन्नाटा छाया रहा। कारसेवकपुरम की स्थापना में भी सिंघल की अहम भूमिका रही है।
अयोध्या में स्थापित कार्यशाला व रामसेवकपुरम की स्थापना की परिकल्पना अशोक सिंघल ने ही की थी, जिसे 40 हेक्टेयर में निर्मित किया गया है।
मीडिया प्रभारी की चुप्पी : दूसरी ओर, विश्व हिन्दू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा का कहना है कि अशोक सिंघल जी हिन्दुओं के हृदय सम्राट हैं और जन-जन के नायक हैं, जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। जब शर्मा से पूछा गया कि सिंघल की चौथी पुण्यतिथि के आने से पूर्व उनका सबसे बडा सपना साकार होने का आदेश हुआ और इसके बावजूद पुण्यतिथि किसी को याद नहीं रही? हालांकि शरद शर्मा के पास इस सवाल को कोई जवाब नहीं था, अत: वे चुप्पी साध गए।