नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मैंने गांधी को क्यों मारा फिल्म के प्रदर्शन पर रोक संबंधी एक याचिका की सुनवाई से सोमवार को इनकार कर दिया। इस फिल्म को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म लाइमलाइट पर रिलीज किया गया है।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की पीठ ने, हालांकि याचिकाकर्ता को इस मामले में राहत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की अनुमति दी। पीठ ने याचिकाकर्ता सिकंदर बहल से कहा कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका केवल तभी दायर की जा सकती है, जब मौलिक अधिकारों के हनन का सवाल हो।
शीर्ष अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि किसी मौलिक अधिकार का हनन नहीं हुआ है। पीठ ने कहा कि बतौर नागरिक याचिकाकर्ता के पास कोई वैध कारण है तो वह अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय का दरवाजा खटाखटा सकते हैं।
सुनवाई के शुरू में याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अनुज भंडारी ने कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर 30 जनवरी को रिलीज इस फिल्म में कई अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। गांधी के बारे में चुटकुले भी सुनाए जा रहे हैं जिन पर ठहाके लगते हैं।
पीठ ने वकील से पूछा कि याचिकाकर्ता ने सीधे शीर्ष अदालत का दरवाजा क्यों खटखटाया, इस पर वकील ने कहा कि फिल्म को सेंसर बोर्ड से मंजूरी नहीं मिली है और यह पूरे देश में दिखाई जा रही है। इसलिए उन्हें सीधे उच्चतम न्यायालय आना पड़ा है, क्योंकि उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र केवल उसी राज्य तक ही सीमित है, लेकिन शीर्ष अदालत इस दलील से संतुष्ट हीं हुई।