नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों को अमान्य करार देने के केंद्र के 8 नवंबर, 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं में हस्तक्षेप संबंधी एक अर्जी पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति एसए नज़ीर की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह अपनी याचिका के साथ बंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाए। याचिका में नोटबंदी की कवायद के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की पड़ताल की मांग की गई है।
संविधान पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना, न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यन और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना भी शामिल थीं। पीठ ने कहा कि आपको इस मामले की सुनवाई के लिए संविधान पीठ की आवश्यकता नहीं है। याचिका को वापस लिये जाने के तौर पर खारिज किया जाता है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने दावा किया कि नए डिजाइन के 500 रुपए के नोट भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश से काफी पहले छापे जा रहे थे।
आरटीआई कार्यकर्ता मनोरंजन रॉय द्वारा दायर याचिका में 500 रुपए और 1000 रुपए के नोट को बंद करने की नीति की घोषणा के संबंध में अधिकारियों के आचरण की एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा समयबद्ध, अदालत की निगरानी में जांच शुरू करने के निर्देश का अनुरोध किया गया था।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने एक अप्रैल, 2000 और 31 मार्च, 2018 के बीच आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में दी गई जानकारी और डेटा का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया है। (एजेंसी)