नई दिल्ली। राजस्थान के सियासी संकट (Rajasthan Political Crisis) पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत ने कहा कि असंतोष की आवाज को दबाया नहीं जा सकता।
राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी की तरफ से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि स्पीकर के नोटिस को चुनौती नहीं दी जा सकती। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पार्टी में रहते हुऐ कोई एमएलए अयोग्य कैसे हो सकता है। असंतोष की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। अदालत ने कहा कि बागी विधायकों को भी पक्ष रखने का हक है।
सिब्बल ने कहा कि बागी विधायक स्पीकर के सामने आकर जवाब दें। उन्होंने यह भी कहा कि आखिर बागी विधायक रिसोर्ट क्यों गए।
सिब्बल ने अदालत से कहा कि स्पीकर के अधिकारों का हनन ना हो। उन्होंने नोटिस जारी किया है, फैसला नहीं सुनाया। विधायकों ने नोटिस का जवाब नहीं दिया और हाईकोर्ट चले गए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल से पूछा कि स्पीकर ने नोटिस क्यों जारी किया? शीर्ष अदालत ने नोटिस की कॉपी मांगी। इस पर सिब्बल ने अदालत को नोटिस पढ़कर सुनाया।
स्पीकर द्वारा 19 विधायकों को व्हीप उल्लंघन मामले मामले में नोटिस जारी करते हुए बागी विधायकों ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। उन्होंने कहा है कि जब विधानसभा सत्र ही नहीं चल रहा था तो व्हीप उल्लंघन का सवाल ही नहीं है।