Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

Special Frontier Force: चीन से तनाव के बीच क्यों चर्चा में है भारत की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स

हमें फॉलो करें Special Frontier Force: चीन से तनाव के बीच क्यों चर्चा में है भारत की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स
, बुधवार, 2 सितम्बर 2020 (14:18 IST)
चीन (China) से जारी सीमा विवाद (Border dispute) के बीच भारत की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (Special Frontier Force) काफी चर्चा में है। दरअसल, एसएसएफ (SFF) ने 29-30 अगस्त की रात चीन के मंसूबों को ध्वस्त करते हुए उसके 500 सैनिकों को खदेड़ दिया। खास बात यह है कि इस फोर्स का गठन ही चीनी सेना के खिलाफ खुफिया तरीके से ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए किया गया था।

SFF हाल ही में लद्दाख (Ladakh) के चुशूल इलाके में एलएसी (LAC) पर तैनाती को लेकर  चर्चा में है। भारत-चीन युद्ध के बाद 14 नवंबर, 1962 को SFF का गठन किया गया था। इसे  विकास बटालियन के नाम से भी जाना जाता है। इसकी रिपोर्टिंग सीधे रॉ को होती है। ऐसा भी  कहा जाता है कि SFF डायरेक्टर जनरल ऑफ सिक्योरिटी के माध्यम से सीधे प्रधानमंत्री को  रिपोर्ट करती है। 
 
इसकी शुरुआत 5000 जवानों के साथ हुई थी। उत्तराखंड के चकराता में इसका ट्रेनिंग सेंटर है।  इस फोर्स की एक और विशेषता है कि इसमें भारत में रह रहे तिब्बती युवकों को ही भर्ती किया  जाता है। इन्हें खासतौर पहाड़ी इलाकों में युद्ध लड़ने के साथ ही गुरिल्ला युद्ध की भी ट्रेनिंग दी  जाती है। साथ ही ये लोग जन्म से ही पहाड़ी इलाकों में रहने और काम करने के आदी होते हैं।
 
SFF के प्रमुख ऑपरेशन : भले ही SFF की स्थापना चीन की हरकतों पर अंकुश लगाने के  लिए की गई थी, लेकिन अपनी स्थापना के बाद से यह फोर्स कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन में  शामिल रही है। 1971 के युद्ध में इस फोर्स ने चटगांव की पहाड़ियों को सुरक्षित रखने के लिए  'ऑपरेशन ईगल' को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। हालांकि इस अभियान में SFF 46 जवान  शहीद हुए थे।
 
1984 में जब ऑपरेशन ब्‍लूस्‍टार को अंजाम दिया गया, तब भी इस ऑपरेशन में SFF के  कमांडो शामिल थे। सियाचिन की चोटियों पर 'ऑपरेशन मेघदूत' में भी SFF ने महत्वपूर्ण  भूमिका निभाई थी। 1999 में करगिल युद्ध के दौरान भी SFF के जवान 'ऑपरेशन विजय' में  शामिल थे।
 
किसने बनाया : रिपोर्ट्‍स के मुताबिक SFF की स्थापना प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और  आईबी के तत्कालीन चीफ भोलानाथ मल्लिक के निर्देश पर मेजर जनरल सुजान सिंह उबान ने  की थी, जो कि 22 माउंट रेजिमेंट के तोपखाना अफसर थे। इसका मुखिया इंस्पेक्टर जनरल  स्तर का अधिकारी होता है जो कि मेजर जरनल के समकक्ष होता है। अहम बात यह है कि यह  भारतीय सेना का हिस्सा नहीं हैं। हालांकि इसकी रैंक सेना की रैंक के समकक्ष ही हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Tata Motors ने पेश किया Nexon का नया संस्करण, कीमत 8.36 लाख से शुरू