देहरादून। उत्तराखंड की ऊंची पहाडि़यों पर भारी हिमपात और बारिश के कारण एक दिन बाधित रही चारधाम यात्रा बुधवार को फिर शुरू हो गई। केदारनाथ में ताजा हिमपात होने के बावजूद करीब 5000 श्रद्धालु भोले बाबा के दर्शन के लिए पहुंचे।
यहां राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, दोपहर बाद केदारनाथ में ताजा बर्फबारी होने के बावजूद कुल 5770 श्रद्धालु हिमालयी धाम पहुंचे जिनमें से 844 दर्शन करने के बाद सोनप्रयाग लौट गए।
सभी चारधाम यात्रा मार्गों पर भूस्खलन संवेदनशील स्थानों पर पुलिस और राज्य आपदा रिस्पांस फोर्स (एसडीआरएफ) के कर्मचारियों की मौजूदबी में यातायात को गुजरने दिया गया।
चमोली के जिलाधिकारी आशीष जोशी ने बताया कि बदरीनाथ के रास्ते में भूस्खलन संवेदनशील लामबगड में तैनात एसडीआरएफ और पुलिस के जवानों की निगरानी में श्रद्धालुओं को हिमालयी धाम बदरीनाथ की ओर रवाना किया गया।
लामबगड में भारी बारिश के बाद भूस्खलन के दौरान पहाड़ी से मलबा और बोल्डर गिरने के कारण मार्ग पर यातायात आठ घंटे के लिए बंद रहा था। ऋषिकेश—केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग सभी छोटे—बड़े वाहनों के लिए गौरीकुंड तक खुला रहा जबकि ऋषिकेश—बदरीनाथ मार्ग पर भी यातायात सुगमता से चलता रहा।
रुद्रप्रयाग जिलाधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, केदारनाथ में भी सुबह मौसम साफ हो गया और बड़ी संख्या में श्रद्धालु हिमालयी धाम के दर्शन के लिए पहुंचे। हालांकि, दोपहर बाद अचानक वहां बादल छा गए और थोड़ी देर में हिमपात होने लगा। हालांकि इससे श्रद्धालुओं का उत्साह ठंडा नहीं पड़ा और दिन के आखिर तक कुल 5770 तीर्थयात्रियों ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए।
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी आशीष चौहान ने बताया कि फिलहाल गंगोत्री और यमुनोत्री दोनों धामों की यात्राएं सुगमता से चल रही हैं और भूस्खलन की संभावना वाले स्थानों पर जेसीबी जैसे मलबा हटाने के भारी उपकरणों के साथ पर्याप्त संख्या में कर्मचारी तैनात हैं।
खराब मौसम के कारण कल केदारनाथ में फंसे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा और केदारनाथ के विधायक मनोज रावत सहित करीब आधा दर्जन कांग्रेस नेता भी सुबह गुप्तकाशी लौट आए।
पूर्व मुख्यमंत्री ने हालांकि, केदारनाथ में अलर्ट रहने के लिए प्रशासन की प्रशंसा की लेकिन उन्होंने राज्य सरकार को हिमालयी धाम में व्यवस्थायें सुधारने के लिए एकाध सुझाव भी दिए।
यहां जारी एक बयान में उन्होंने कहा, 'मैंने मुख्य सचिव को सलाह दी थी कि हिमपात झेल रहे केदारनाथ में जगह—जगह पर अलाव जलाई जाए और बिजली आपूर्ति को ठीक किया जाए।'
उन्होंने कहा कि केदारपुरी से भीमबली तक हर तीर्थयात्री को एक कंबल और एक बरसाती उपलब्ध करायी जाये तथा गढ़वाल मंडल विकास निगम और एसडीआरएफ रास्ते में चलने वाले यात्रियों को चाय, गर्म पानी और गुड़ मुहैया कराएं।
हालांकि खराब मौसम के इस दौर में कल एक व्यक्ति की मौत भी हो गई। गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क के उपनिदेशक श्रवण कुमार ने बताया कि उत्तरकाशी जिले में केदारताल से गंगोत्री लौटते समय नेपाल का एक पोर्टर हिमस्खलन के दौरान बर्फ के नीचे दब गया। यह पोर्टर पर्यटकों के 31 सदस्यीय एक दल के साथ गया था। (भाषा)