नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मिठाइयों की सजावट में प्रयुक्त होने वाले चांदी का वर्क बनाने में पशुओं से प्राप्त सामग्री के प्रयोग पर पाबंदी लगाने के आप सरकार के फैसले पर लगी रोक हटा दी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति चन्द्रशेखर की पीठ ने हालांकि चांदी का वर्क बनाने वाले पारंपरिक उत्पादकों को उनके वर्तमान भंडार को निपटाने की अनुमति दी।
चांदी के वर्क का यूनानी और आयुर्वेदिक दवाओं में भी प्रयोग होता है। दिल्ली सरकार ने इस संबंध में केंद्रीय अधिसूचना के आधार पर एक सर्कुलर जारी करके पारंपरिक प्रक्रिया द्वारा निर्मित सामग्री के प्रयोग पर पाबंदी लगाई थी।
अदालत ने यह आदेश तब पारित किया, जब पारंपरिक प्रक्रिया द्वारा चांदी का वर्क बनाने का कारोबार कर रहे याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) को यह दिखाने के लिए एक ज्ञापन देंगे कि उनका तरीका साफ-सुथरा है और इसमें मिलावट का कोई जोखिम नहीं है।
एफएसएसएआई ने 15 जुलाई 2016 को एक अधिसूचना में पारंपरिक तरीके से निर्मित चांदी के वर्क के प्रयोग पर पाबंदी लगाई थी। पारंपरिक तरीके में गाय या भैंस की आंतों का प्रयोग किया जाता है। एफएसएसएआई ने कहा कि यह अस्वास्थ्यकर है और इससे संक्रमण का जोखिम है।