Shri Ram Janmabhoomi Temple Ayodhya : श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के भूतल का निर्माण कार्य लगभग 85 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है। राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा व गर्भगृह की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है, जिससे 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री मोदी के करकमलों द्वारा रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा व गर्भगृह में भव्य प्रवेश से संबंधित सारी व्यवस्था समय से पहले पूरी हो, किसी प्रकार की कोई कमी न रह जाए, जिसका निरीक्षण समय-समय पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी कर रहे हैं।
कैसा होगा राम मंदिर का गर्भ गृह : जिस प्रकार से राम नगरी अयोध्या धाम में बन रहे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की खूबसूरती विश्व में अनोखी होगी, उसी प्रकार से रामलला जहां विराजमान होंगे वह भी बहुत ही खास होगा। राम मंदिर के गर्भगृह में संगमरमर के पत्थरों से बने कमल के फूल के आसन पर सोने के बड़े ही खूबसूरत दिव्य सिंहासन पर प्राण-प्रतिष्ठा के साथ 51 इंच के बाल स्वरूप में रामलला विराजमान होंगे।
गर्भगृह में रामलला के अलावा ब्रह्मा, विष्णु और महेश के भी दर्शन होंगे, साथ ही श्रीराम के परम भक्त महाबली हनुमान के भी दर्शन होंगे, जो कि गर्भगृह की दोनों दिशाओं में हाथ जोड़े खड़े मुद्रा में दिखेंगे। गर्भगृह के मुख्य द्वार पर सफेद संगमरमर के पत्थरों पर मूर्तियों की खूबसूरत कलाकारी दिखेगी और सबसे खास बात प्रति वर्ष अयोध्या के सबसे बड़े महापर्व श्रीरामनवमीं के दिन दोपहर के 12 बजे सूर्यदेव की किरणें अपनी चमक बिखेरेंगी।
रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के समय गर्भगृह में पीएम मोदी के साथ और कौन-कौन होगा : संपूर्ण विश्व के रामभक्तों के लिए वह शुभ घड़ी अतिशीघ्र आने वाली है जिसके लिए साढ़े पांच सौ वर्षों तक संघर्ष चला, न जाने कितने रामभक्तों ने अपने प्राणों की आहुतियां दे दीं। अब उन सभी का सपना पूरा होने जा रहा है और वे लोग बड़े ही सौभाग्यशाली हैं, जिनके जीवनकाल में भव्य-दिव्य श्रीराम जन्मभूमि का निर्माण हो रहा है और राम की प्राण-प्रतिष्ठा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करकमलों द्वारा होने जा रही है।
आपको बता दें कि रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के समय मोदी के साथ और कौन-कौन होगा। गर्भगृह में प्रधानमंत्री मोदी के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, संघ प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्य आचार्य मौजूद रहेंगे, रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के समय पर्दा बंद रहेगा और रामलला की मूर्ति की पट्टी हटते समय 5 लोग मौजूद रहेंगे।
सबसे पहले भगवान रामलला को आईना दिखाया जाएगा। उसके बाद दलपूजा के लिए आचार्यों की 3 टीमें बनाई गईं है। पहले दल का नेतृत्व स्वामी गोविंद देव गिरि करेंगे। दूसरे दल का नेतृत्व शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती करेंगे। विजयेंद्र सरस्वती कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य हैं। तीसरी टीम में काशी के 21 विद्वान रखे गए हैं।