नई दिल्ली। सरकार ने उच्चतम न्यायालय के एक आदेश से कमजोर हुए अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार (निवारण) कानून को पुराने स्वरूप में लाने के लिए इसमें जरूरी बदलाव करने का निर्णय लिया है और इससे संबंधित विधेयक को बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी।
केंद्रीय मंत्री एवं लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान ने यहां बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि विधेयक दो-तीन दिन में संसद में पेश कर दिया जाएगा।
पासवान के अनुसार बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि जरूरत पड़ी तो कानून के प्रावधानों को और कडा किया जाएगा। शुरुआत में कानून में 22 प्रावधान थे बाद में इसमें 25 और प्रावधान जोडे गए थे और अगर जरूरत पड़ी तो प्रावधानों को और कड़ा किया जाएगा।
उच्चतम न्यायालय ने गत 20 मार्च को इस कानून के कुछ सख्त प्रावधानों को हटा दिया था जिससे इससे जुडे मामलों में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लग गई थी। इसके अलावा आरोपी को अंतरिम जमानत लेने की अनुमति भी मिल गई थी।
दलित संगठनों ने इसका कड़ा विरोध करते हुए आगामी 9 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया था। सरकार में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी से संबद्ध दलित सेना ने सरकार से 9 अगस्त से पहले कानून के मूल प्रावधानों को बहाल करने के लिए विधेयक पारित करवाने या अध्यादेश लाने की मांग की थी। उसने कहा था कि ऐसा न किए जाने पर वह भी भारत बंद में शामिल होगी। (वार्ता)