सरकार व रिजर्व बैंक के बीच सहमति के संकेत, पूंजी अधिशेष का मुद्दा विशेषज्ञ समिति के हवाले

Webdunia
मंगलवार, 20 नवंबर 2018 (00:08 IST)
मुंबई। सरकार और रिजर्व बैंक के बीच तनातनी का जो माहौल बना हुआ था, वह फिलहाल सोमवार को अस्थायी रूप से ठंडा पड़ गया। रिजर्व बैंक के पास पूंजी का कितना आरक्षित भंडार रहना चाहिए, इस विवादित मुद्दे को एक विशेषज्ञ समिति के हवाले करने पर दोनों के बीच सहमति बनी है। छोटे उद्योगों के फंसे कर्ज के पुनर्गठन के मुद्दे पर केंद्रीय बैंक खुद विचार करेगा।
 
 
रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की सोमवार की बहुचर्चित बैठक 9 घंटे तक चली। इस बैठक में रिजर्व बैंक के पास आरक्षित पूंजी कोष की उचित सीमा तय करने के लिए जिस विशेषज्ञ समिति के गठन पर सहमति बनी है, उसके सदस्यों के बारे में सरकार और रिजर्व बैंक दोनों मिलकर फैसला करेंगे।
 
बैठक के बाद केंद्रीय बैंक की जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि निदेशक मंडल ने आर्थिक पूंजी ढांचे की रूपरेखा (ईसीएफ) के परीक्षण के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का फैसला किया है। समिति के सदस्यों उसकी कार्य शर्तों को सरकार और रिजर्व बैंक दोनों मिलकर तय करेंगे।
 
रिजर्व बैंक का पूंजी आधार इस समय 9.69 लाख करोड़ रुपए है। रिजर्व बैंक के स्वतंत्र निदेशक और स्वदेशी विचारक एस. गुरुमूर्ति तथा वित्त मंत्रालय चाहते हैं कि इस कोष को वैश्विक मानकों के अनुरूप कम किया जाना चाहिए। बैठक में जिस विशेषज्ञ समिति के गठन का फैसला किया गया है, वह इस कोष के उचित स्तर के बारे में अपनी सिफारिश देगी।
 
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में केंद्रीय निदेशक मंडल की सोमवार को बैठक हुई। यह बैठक वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के बीच कुछ मुद्दों में गहरे मतभेद पैदा होने के बीच हुई। बैंकों के लिए बेसल नियामकीय पूंजी ढांचा रूपरेखा, छोटे उद्योगों के फंसे कर्ज के मामले में पुनर्गठन योजना, कमजोर बैंकों के लिए जारी त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के नियमों और आर्थिक पूंजी रूपरेखा ढांचे को लेकर दोनों के बीच मतभेद हैं।
 
सूत्रों का कहना है कि बैठक के दौरान किसी भी प्रस्ताव पर मतदान की नौबत नहीं आई। डिप्टी गवर्नर एनएस विश्वनाथन ने बोर्ड के समक्ष विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। विश्वनाथन रिजर्व बैंक में बैंकिंग नियमन और निरीक्षण विभाग के प्रभारी हैं। निदेशक मंडल ने रिजर्व बैंक को सलाह दी कि वह छोटे उद्योगों के मामले में फंसे कर्ज वाली इकाइयों के लिए एक पुनर्गठन योजना लाने पर विचार करे। इसके लिए वह 25 करोड़ रुपए तक की कुल ऋण सुविधा तय कर सकता है।
 
बैठक में टाटा संस के चेयरमैन एन. चन्द्रशेखर सहित ज्यादातर स्वतंत्र निदेशक उपस्थित थे। बैंकों के त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई के मामले में यह तय किया गया कि इस मुद्दे को रिजर्व बैंक का वित्तीय निरीक्षण बोर्ड देखेगा। सार्वजनिक क्षेत्र के 21 में से 11 बैंक पीसीए फ्रेमवर्क के तहत लाए गए हैं। (भाषा)

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