जेटली उप्र से, प्रधान मप्र से राज्यसभा प्रत्याशी

Webdunia
गुरुवार, 8 मार्च 2018 (00:30 IST)
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने वित्तमंत्री अरुण जेटली को उत्तर प्रदेश से, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को बिहार से तथा पेटोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को मध्य प्रदेश से टिकट दिया है। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति के सचिव नड्डा ने उम्मीदवारों के नामों की सूची जारी की। राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव 23 मार्च को होने हैं।


पार्टी ने राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनावों के लिए बुधवार को अपने आठ उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की, जिसमें केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा को पुन: हिमाचल प्रदेश से, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत को पुन: मध्य प्रदेश से, कृषि राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला एवं सड़क परिवहन राज्य मंत्री मनसुख लाल मंडाविया को पुन: गुजरात से प्रत्याशी बनाया है।

पार्टी महासचिव भूपेंद्र यादव को भी फिर से राजस्थान से उम्मीदवार बनाने की घोषणा की गई है। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति के सचिव नड्डा ने उम्मीदवारों के नामों की सूची जारी की। ये सभी नेता इस समय राज्यसभा के सदस्य है और इनका मौजूदा कार्यकाल दो अप्रैल को समाप्त हो रहा है।

राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव 23 मार्च को होने हैं। पार्टी ने इन आठों उम्मीदवारों में गेहलोत, नड्डा, प्रसाद, यादव, रूपाला और मंडाविया को उन्हीं के राज्यों से टिकट दिया गया है, जबकि गुजरात से सदस्य रहे जेटली को उत्तर प्रदेश से तथा बिहार से सदस्य रहे प्रधान को मध्य प्रदेश से उम्मीदवार बनाया गया है।

प्रसाद ने कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की टिप्पणियों का जवाब देते हुए कहा कि चिदंबरम हम सबसे ज़्यादा होशियार हैं और उन्होंने कागज़ों पर 15 मई 2014 को हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति में अगर लोकतांत्रिक प्रणाली के प्रति ज़रा भी सम्मान होगा तो वह ऐसा कभी नहीं करेगा।

भारतीय रिज़र्व बैंक की भूमिका पर उन्होंने तत्कालीन गवर्नर रघुराम राजन पर उनका नाम लिए बिना तीखा हमला किया और कहा कि चिदंबरम के हस्ताक्षर करने के बाद फाइलें 'सुपरसोनिक गति' से चलीं और एक ही दिन में वित्त मंत्रालय की नौ डेस्कों से इस आदेश को मंजूरी दे दी गई और रिजर्व बैंक ने 21 मई को अधिसूचना भी जारी कर दी, जबकि 26 मई को मोदी सरकार का शपथ ग्रहण कार्यक्रम तय हो चुका था।

उन्होंने कहा कि अधिसूचना में दावा किया गया कि केन्द्र सरकार से परामर्श करने के बाद यह अधिसूचना जारी की गई है। उन्होंने कहा कि 16 मई को संप्रग सरकार सत्ता से बेदखल हो गई थी और यह साफ हो गया था कि मोदी सरकार आने वाली है तो तत्कालीन रिज़र्व बैंक प्रशासन बताए कि उसने किस केन्द्र सरकार से परामर्श किया था। आखिर उसे छह दिन प्रतीक्षा करने में क्या दिक्कत थी।

प्रसाद ने मीडिया को दो दस्तावेजों की प्रतिलिपि जारी की जिनमें से एक चिदंबरम के हस्ताक्षर वाला कार्यालय परिपत्र और दूसरा रिज़र्व बैंक द्वारा 21 मई 2014 को जारी अधिसूचना आदेश है। उन्होंने बताया कि रिज़र्व बैंक के आदेश से निजी कारोबारियों को दायरे के बाहर जाकर रियायतें दी गईं और वे रियायतें उसके अगस्त 2013 के सोने के आयात पर रोक लगाने के निर्णय के सर्वथा विरुद्ध थीं।

उन्होंने कहा कि अधिसूचना के माध्यम से सोने के आयात के लिए इन सात सर्राफा कारोबारियों के दरवाजे खोल दिए गए और उन्हें देश के किसी भी स्थान से आयात करने और आयात की सीमा अगस्त 2013 के दो साल पहले तक किए गए अधिकतम आयात या 2000 किलोग्राम की सीमा तक आयात की की छूट दी गई थी। इसके लिए किसी भी सत्यापन से भी छूट दी गई थी। (वार्ता)

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