कुंभ। दुनिया के सबसे बड़े धर्मिक समागम कुंभ क्षेत्र में शुक्रवार सुबह वर्षा के साथ ओले गिरने से कल्पवासियों के डेरे में अफरातफरी मच गई। अचानक हुई बारिश से सबसे अधिक प्रभाव कुंभ क्षेत्र में दिखाई पड़ा जहां खुले आसमान के नीचे सो रहे श्रद्धालुओं को उठकर इधर-उधर ठौर तलाशने के लिए भटकना पड़ा। जिसको जहां जगह मिली, उसने वहां शरण ली।
अचानक हुई बरसात को देखकर ऐसा लग रहा है कि मानो इंद्रदेव कल्पवासियों और संगम तट पर खुले आसमान के नीचे सो रहे श्रद्धालुओं की परीक्षा ले रहे हैं। देखना चाहते हैं किसके पास कितनी श्रद्धा और संयम है। कल्पवासियों और कुंभ में स्नान की मिन्नत लेकर संगम पहुंचे खुले आसमान के नीचे सोने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि बिना परीक्षा के फेल-पास कैसे पता चलेगा। कौन किस आस्था से आया है। कल्पवासियों और स्नानर्थियों का मानना है जिसकी जितनी दृढ़ आस्था है, उसको वैसा फल अवश्य मिलता है।
सबसे बड़ी परेशानी संगम में कल्पवास करने वाले कल्पवासियों के सामने उत्पन्न हो गई है। एक तरफ प्रशासन द्वारा कल्पवासियों को अपर्याप्त सुविधा और दूसरी तरफ इंद्रदेव का कोप मानो कल्पवासियों के संयम की परीक्षा ले रहा है। भोर में तेज बारिश के साथ ओलों की बौछार ने जमीन पर सफेद चादर बिछा दी है।
कल्पवासियों ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि कुंभ मेले में कल्पवासियों को पर्याप्त सुविधा नहीं दी जा रही है। उन्हें एक किनारे कर दिया गया है। व्यवस्था के नाम पर केवल पंडों के शिविर उपलब्ध कराए गए हैं। वर्षा से बचाव और कड़कड़ाती सर्द के लिए अलाव वगैरह की कोई व्यवस्था नहीं है।
बारिश ने कल्पवासियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सेक्टर छह में परिवार के साथ कल्पवास करने आए अरविंद कुमार मिश्र, रमाशंकर एवं जंग बहादुर समेत कई लोगों ने दर्द बताया। उन्होंने बताया कि शिविर में वर्षा से उनके ओढ़ने-बिछाने वाले बिस्तर और कपड़े गीले हो गए हैं। यदि प्रशासन सुरक्षित और पर्याप्त व्यवस्था करता तो उन्हें यह दिन नहीं देखने पड़ते।
उन्होंने बताया कि गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की रेती पर संयम, अहिंसा, श्रद्धा और कायाशोधन का कल्पवासी कल्पवास करता है। ईश्वर उनकी परीक्षा लेता है। हम भी उसकी परीक्षा देने के लिए तैयार रहते हैं। हर साल कल्पवासी गंगा तट पर कल्पवास करता है।
उन्होंने बताया जिस प्रकार विद्यार्थी पढ़ाई के बाद परीक्षा देता है उसी प्रकार कल्पवास भी कल्पवासियों की परीक्षा है। उन्होंने प्रशासन की व्यवस्था पर खेद व्यक्त किया। सड़क किनारे सो रहे श्रद्धालुओं को इधर-उधर भागकर ठौर तलाशने को मजबूर कर दिया। रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पश्चिम की शीतल नमी पहले से है उस पर अब पूरब की नम हवाओं का मिलन ठंडी हवाओं को बल प्रदान कर रहा है जिससे शीतल लहरी लोगों के भीतर तक सिहरन पैदा करेगी। आसमान पर बादल हैं और तेज सर्द हवाएं हाथ-पैर को सुन्न कर रही हैं।