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यूपी में क्या प्रियंका के जाल में फंस गए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ?

हमें फॉलो करें यूपी में क्या प्रियंका के जाल में फंस गए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ?

विकास सिंह

लखनऊ। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के अब तक सबसे खराब प्रदर्शन के बाद अब पार्टी महासचिव और सूबे की प्रभारी प्रियंका गांधी इन दिनों पार्टी को फिर से जिंदा करने की कोशिश में लगी हुई हैं। पिछले दिनों सोनभद्र मामले पर जिस तरह प्रियंका ने अपने संघर्ष का जज्बा दिखाया उसको देखकर अब निराश हो चुके कांग्रेस कार्यकर्ताओं को आशा की एक नई किरण दिखाई दे रही है। ऐसे समय जब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अपना आधा कार्यकाल पूरा कर चुकी है, तब अचानक से प्रियंका के निशाने पर सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आ गए हैं।

चुनाव के किले में प्रियंका गांधी ने बिना बिजली-पानी के धरना देकर योगी सरकार को चुनौती देते हुए एक तरह से बैकफुट पर ला दिया। प्रियंका की जिद के आगे प्रशासन को झुकना पड़ा और पीड़ितों से मुलाकात करानी पड़ी, इसके बाद रविवार को खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पीड़ितों से मिलने पहुंचे और उनको मुआवजे का मरहम लगाया। इस पूरे घटनाक्रम को प्रियंका की मुख्यमंत्री योगी के खिलाफ पहली बड़ी सियासी जीत माना जा रहा है।
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वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि अगर उत्तर प्रदेश सरकार प्रियंका को पीड़ितों से मिलने जाने देती तो यह इतना बड़ा इवेंट नहीं होता और न ही पूरे देश का ध्यान इस ओर खींचता। वे कहते हैं कि जिस तरह उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रियंका को रोका और हिरासत में लिया, उसके बाद प्रियंका ने निश्चित तौर पर अपनी लीडरशिप की क्वालिटी को दिखाया।

रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि ऐसी घटनाओं पर कई बार देखा गया है कि विपक्ष के नेता मिलने जाते हैं तो प्रशासन उन्हें रोकता है और वे लौट जाते हैं, लेकिन सोनभद्र जाने पर अड़ीं प्रियंका लौटने के बजाए धरने पर बैठीं और फिर जिस तरह चुनाव के किले में बिना बिजली के रातभर धरना दिया, उससे उनकी लीडरशिप में जुझारूपन की क्षमता सामने आई और जिसका फायदा निश्चित तौर पर कांगेस को मिलेगा।

स्थानीय मुद्दों पर लड़ाई : लोकसभा चुनाव से सबक लेते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपनी रणनीति में अहम बदलाव किया है। प्रियंका स्थानी मुद्दों को उठाकर योगी सरकार को घेरने की कोशिश कर रही हैं। मुद्दा चाहे सोनभद्र में जमीन विवाद में मारे गए पीड़ितों का हो या बेरोजगारों को नौकरी देने का, प्रियंका योगी सरकार पर बराबर हमलावर हैं। प्रियंका हर छोटे से छोटे मुद्दे पर ट्वीट के जरिए या खुद मीडिया के सामने आकर अपना विरोध जताती आ रही थीं, लेकिन सोनभद्र के मसले पर उन्होंने जिस तरह संघर्ष किया, उससे कांग्रेस में एक नई ऊर्जा आ गई।

वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को ऐसे ही जमीनी लड़ाई लड़ने वाले नेता की जरुरत है। ऐसे में जब सपा और बसपा के नेता पिछले कई सालों से कोई बड़ा जनसंघर्ष करने में नाकमायाब रहे हैं, ऐसे में लोगों के मुद्दों पर जो संघर्ष का जज्बा प्रियंका ने दिखाया है, उसके बाद लोगों का अट्रेक्‍शन उनकी तरफ जरूर गया है।

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