नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय में गुरुवार को एक जनहित याचिका दायर कर केंद्र और आप सरकार को नकद लेनदेन की सीमा 10 हजार रुपए तय करने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया कि इस कदम से अवैध गतिविधियों जैसे आतंकवाद, भ्रष्टाचार और कालेधन के इस्तेमाल पर लगाम लगेगी।
भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया कि उच्च मूल्य वर्ग की मुद्रा का इस्तेमाल आतंकवाद, नक्सलवाद, अलगाववाद, कट्टरपंथ, तस्करी, धनशोधन, अपहरण, रंगदारी और रिश्वत जैसी अवैध गतिविधियों के लिए किया जाता है।
उपाध्याय ने दलील दी कि नकद लेनदेन की सीमा तय होने से कालाधन रखने वाले अपनी अघोषित चल और अचल संपत्ति की घोषणा करने के लिए बाध्य होंगे। याचिका में कहा गया कि इसलिए दीर्घावधि में यह कालेधन पर रोक लगाने में मददगार साबित होगी।
इसमें कहा गया कि इससे लोग बैंकों में अपनी नकदी रखेंगे जिससे सरकार का राजस्व बढ़ेगा। याचिका में कहा गया कि इस तरह से हुए राजस्व लाभ का इस्तेमाल सरकार समाज की बेहतरी और लोगों को अच्छा आधारभूत ढांचा और सुविधाएं उपलब्ध कराने में कर सकती है।