नई दिल्ली। हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से पिछले 40 वर्षों में सबसे अधिक 8 लाख से अधिक क्यूसेक पानी यमुना में छोड़े जाने के बाद दिल्ली और हरियाणा में नदी तट के आसपास के इलाकों में 6 सालों बाद बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो गया है तथा अगले 24 घंटे चिंताजनक रहेंगे। मथुरा-वृंदावन में भी बाढ़ का खतरा पैदा हो गया, जिसके चलते जिले के 175 गांव इसकी चपेट में आ सकते हैं।
हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से रविवार को 8.28 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इस पानी को दिल्ली पहुंचने में 36 से 72 घंटे का समय लगेगा। इस प्रकार बुधवार की सुबह यमुना के जल स्तर के अपने अधिकतम स्तर तक पहुंचने की संभावना है। राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार रात 8 बजे तक यमुना का जल स्तर 205.50 मीटर था और आज यमुना का जल स्तर 207 मीटर तक जाने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बुलाई बैठक : दिल्ली में बाढ़ के खतरे का आकलन करने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में संबंधित विभागों के साथ उत्पन्न होने वाली स्थिति पर विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को हिदायत दी गई है कि जानमाल का नुकसान नहीं हो, इसके लिए हरसंभव उपाय किए जाएं।
लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया : मुख्यमंत्री ने कहा किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। इससे पहले वर्ष 2013 में 8.06 लाख क्यूसेक पानी यमुना में छोड़ा गया था जिससे जल स्तर 207.32 मीटर तक पहुंच गया था। केजरीवाल ने कहा कि यमुना की तलहटी में बसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए प्रशासन ने काम शुरू कर दिया है। उन्होंने तलहटी में बसे लोगों से कहा कि वे घबराएं नहीं और सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं।
जारी किए हेल्पलाइन नंबर : प्रशासन ने लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और उनके रहने के लिए बड़ी संख्या में तंबू का प्रबंध किया है। कुल 23860 लोगों को निकालना है। इनके लिए 2120 तंबुओं का प्रबंध किया गया है। पानी बुधवार तक पूरी रफ्तार के साथ दिल्ली पहुंच सकता है। प्रशासन ने बाढ़ की स्थिति में किसी प्रकार की सहायता के लिए 2 टेलीफोन नंबर 01122421656 और 011 21210849 भी जारी किए हैं।
मथुरा के 175 गांवों को खतरा : मथुरा-वृंदावन में यमुना नदी में बाढ़ आने का खतरा पैदा हो गया है, जिसके चलते जिले के 175 गांव खतरे की जद में हैं। जिला प्रशासन ने आसन्न संकट से निपटने के लिए सभी इंतजाम शुरू कर दिए हैं। खबरों के मुताबिक यमुना किनारे बसे कम से कम 67 गांव इसकी चपेट में आ सकते हैं। इनके बाद भी कम से कम 100 से अधिक गांव ऐसे हैं जहां पानी तबाही मचा सकता है।
जिला प्रशासन ने बाढ़ की आशंका वाले सभी 175 गांवों में बचाव एवं राहत कार्यों की तैयारियां पहले से ही शुरू कर दी हैं तथा इनमें से 67 गांवों के लोगों को यमुना का जल स्तर खतरे के निशान तक पहुंचने से पूर्व ही अपने मवेशी एवं कीमती सामान लेकर ऊंचाई वाले स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है।
देश में वर्षाजनित घटनाओं में 313 लोगों की मौत : इस बीच हिमाचल प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड समेत पूरे उत्तर भारत में हुई भारी बारिश और बादल फटने के कारण आई बाढ़ तथा भूस्खलन की घटनाओं में 42 लोगों की मौत के साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों में बारिश, बाढ़ एवं भूस्खलन की घटनाओं में मरने वालों की संख्या 313 पहुंच गई है, जबकि 47 अन्य लापता हैं।