नई दिल्ली। पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह पर पाकिस्तान के साथ मिलकर षड्यंत्र रचने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरोपों के खिलाफ एकजुट होते हुए विपक्ष ने शुक्रवार को कहा कि जब तक मोदी माफी नहीं मांगते राज्यसभा की कार्यवाही नहीं चलने दी जाएगी।
इस मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दोपहर 2.30 बजे तक के लिए स्थगित होने के बाद सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी. राजा तथा समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल ने संसद परिसर में कहा कि प्रधानमंत्री को अपने आरोपों पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।
आजाद ने कहा कि मोदी ने अंसारी और डॉ. सिंह के साथ पूर्व सेना प्रमुख दीपक कपूर, पूर्व विदेश मंत्री, पूर्व विदेश सचिव तथा कुछ वरिष्ठ मीडियाकर्मियों पर पाकिस्तानी प्रतिनिधियों के साथ मिलकर गुजरात में भारतीय जनता पार्टी को हराने का षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यह कोई छोटा आरोप नहीं है और न ही किसी छोटे व्यक्ति के खिलाफ लगाया गया है। आरोप लगाने वाले भी स्वयं प्रधानमंत्री हैं। हमने नियम 267 के तहत कार्यस्थगन नोटिस दिया था, लेकिन हमें सदन में यह मुद्दा नहीं उठाने दिया गया।
आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में आकर स्पष्टीकरण देना चाहिए और सबूत पेश करने चाहिए। यदि उनके आरोप सही हैं तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए और यदि आरोप गलत हैं तो उन्हें देश तथा सदन से माफी मांगनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ विपक्ष का नहीं पूरे देश का मुद्दा है। इसके अलावा उन्होंने जदयू के बागी नेता शरद यादव और अली अनवर की सदस्यता रद्द किए जाने को भी गलत बताते हुए कहा कि कार्रवाई जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार के सांसदों के खिलाफ होनी चाहिए जिन्होंने महागठबंधन के सदस्य के रूप में चुनाव जीता है।
राजा ने पाकिस्तानी प्रतिनिधियों के साथ बैठक का मुद्दा चुनावी सभा में उठाए जाने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से प्रधानमंत्री ने चुनावी सभा में इस मुद्दे को उठाया वह आपत्तिजनक है। उन्हें इस पर भी स्पष्टीकरण देना चाहिए।
अग्रवाल ने कहा कि यह गंभीर आरोप है। यदि पाकिस्तान किसी राज्य का मुख्यमंत्री बनवा सकता है तो वह देश की सरकार भी बनवा सकता है। शर्मा ने राज्यसभा अध्यक्ष पर विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगाया और इसे अलोकतांत्रिक बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने पूर्व उपराष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री और पूर्व सेना प्रमुख की निष्ठा तथा देशभक्ति पर सवाल उठाया है और यह देश के प्रति उनका कर्तव्य है कि वे इस पर स्पष्टीकरण दें।
शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री को विपक्ष के नोटिस की पहले से जानकारी थी। यदि वह चाहते तो सदन के सामने स्पष्टीकरण दे सकते थे। (वार्ता)